03/07/2023
Traditionally, the festival is celebrated by Buddhists in honor of the Buddha, who gave his first sermon on this day at Sarnath, Uttar Pradesh, India. In the yogic tradition, the day is celebrated as the occasion when Shiva became the first guru, as he began the transmission of Yoga to the Saptarishis.
10/06/2023
10 June, 1890
Sunday introduced as a weekly holiday.
When the Britishers came to India, there was no holiday here on Sundays. The mill workers here worked for seven days, while the British had to go to church on Sundays. Narayan Meghaji Lokhande who was a mill worker campaigned for sunday to be declared as holiday.
Lokhande didn’t accept the defeat, he continued his struggle. After a 7-year long struggle, on 10th June 1890, British Government declared sunday as a holiday for Indian workers.
09/06/2023
9-June-1964
Lal Bahadur Shastri became the second Prime Minister of India when the country was shocked of Jawaharlal Nehru's death and Indo-China war. Shastri gave the quotation "Jai Jawan Jai Kisan" which motivated the war-affected Indians to boost their morale. He remained in this office till he died on January 11, 1966 at Taskent. In his cabinet, Indira Gandhi served as Minister of Information and Broadcasting.
08/06/2023
So this is latest...!!
OFSS Inter Admission Last Date: बिहार बोर्ड इंटर एडमिशन आवेदन की आखरी तारीख फिर से आगे बढ़ी
Bihar Board 11th Admission 2023-25 सत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन की तिथि 14 जून 2023 तक बढ़ा दी है। अब छात्रों द्वारा OFSS Bihar Inter Admission 2023 Online Apply 14 जून 2023 तक कि....
19/05/2023
Seeing these happy faces in the morning is more than bless...!!
01/01/2023
Congrats for new year 2023.
A new year is like a blank book, and the pen is in your hands. It is your chance to write a beautiful story for yourself.
09/09/2022
HAPPY ANANT CHATURDASI
On the occasion of Anant Chaturdashi, may Ganpati Bappa leave his blessings and love behind to fill your home with happiness, joy, harmony and peace.
14/04/2022
Morning assembly✌
Admission is going on for session 2022-23.
19/03/2022
Happy holi 2022.
जब घर रंगे जाए
तो दिपावली '
ओर जब घरवाले रंगे जाए
तो होली ।
जब घर में दिपक जलाए जाए
तो दिपावली '
और
जब बाहर चौक में अग्नि जलाए
तो होली ।
एक में अग्नि ( प्रकाश ) है ।
एक में जल है ।
दिपावली भगवान का त्यौहार हैं
तो होली भक्त का त्यौहार है ।
जब बाहर रोशनी हो '
तो दिपावली
ओर
जब अन्तर्मन में रोशनी हो
तो ----होली ।
*आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव होली की शुभकामनायें*
08/03/2022
Happy Women's day 8 March.👩👩
05/02/2022
May the freshness of spring, brightness of blossoms bring in your life more joy and positive energy.
Sending you warm wishes on the festive occasion of Basant Panchami.
Thanks and Regards
THE RAJKISHOR VERMA
H C P S, Motihari
31/12/2021
“You are never too old to set another goal, or to dream a new dream.”
25/12/2021
Proud Moment for HCPS family✌ Congratulations to Divyang
15/10/2021
दशहरे का उत्सव शक्ति और शक्ति का समन्वय बताने वाला उत्सव है। नवरात्रि के नौ दिन जगदम्बा की उपासना करके शक्तिशाली बना हुआ मनुष्य विजय प्राप्ति के लिए तत्पर रहता है। इस दृष्टि से दशहरे अर्थात विजय के लिए प्रस्थान का उत्सव का उत्सव आवश्यक भी है।
भारतीय संस्कृति सदा से ही वीरता व शौर्य की समर्थक रही है। प्रत्येक व्यक्ति और समाज के रुधिर में वीरता का प्रादुर्भाव हो कारण से ही दशहरे का उत्सव मनाया जाता है। यदि कभी युद्ध अनिवार्य ही हो तब शत्रु के आक्रमण की प्रतीक्षा ना कर उस पर हमला कर उसका पराभव करना ही कुशल राजनीति है। भगवान राम के समय से यह दिन विजय प्रस्थान का प्रतीक निश्चित है। भगवान राम ने रावण से युद्ध हेतु इसी दिन प्रस्थान किया था। मराठा रत्न छत्रपती शिवाजी महाराज ने भी औरंगजेब के विरुद्ध इसी दिन प्रस्थान करके हिन्दू धर्म का रक्षण किया था। भारतीय इतिहास में अनेक उदाहरण हैं जब हिन्दू राजा इस दिन विजय-प्रस्थान करते है।
इस पर्व को भगवती के 'विजया' नाम पर भी 'विजयादशमी' कहते हैं। इस दिन भगवान रामचंद्र चौदह वर्ष का वनवास भोगकर तथा रावण का वध कर अयोध्या पहुँचे थे। इसलिए भी इस पर्व को 'विजयादशमी' कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय 'विजय' नामक मुहूर्त होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है। इसलिए भी इसे विजयादशमी कहते हैं।
ऐसा माना गया है कि शत्रु पर विजय पाने के लिए इसी समय प्रस्थान करना चाहिए। इस दिन श्रवण नक्षत्र का योग और भी अधिक शुभ माना गया है। युद्ध करने का प्रसंग न होने पर भी इस काल में राजाओं (महत्त्वपूर्ण पदों पर पदासीन लोग) को सीमा का उल्लंघन करना चाहिए। दुर्योधन ने पांडवों को जुए में पराजित करके बारह वर्ष के वनवास के साथ तेरहवें वर्ष में अज्ञातवास की शर्त दी थी। तेरहवें वर्ष यदि उनका पता लग जाता तो उन्हें पुनः बारह वर्ष का वनवास भोगना पड़ता। इसी अज्ञातवास में अर्जुन ने अपना धनुष एक शमी वृक्ष पर रखा था तथा स्वयं वृहन्नला वेश में राजा विराट के यहँ नौकरी कर ली थी। जब गोरक्षा के लिए विराट के पुत्र उत्तर ने अर्जुन को अपने साथ लिया, तब अर्जुन ने शमी वृक्ष पर से अपने हथियार उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी। विजयादशमी के दिन भगवान रामचंद्रजी के लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रस्थान करते समय शमी वृक्ष ने भगवान की विजय का उद्घोष किया था। विजयकाल में शमी पूजन इसीलिए होता है।
08/10/2021
Proud 🧡
मोतिहारी :शिक्षक पुत्री रागिनी बीपीएससी में 213 रैंक लाकर बनी डीएसपी
मोतिहारी। बंजरिया बाबूटोला निवासी धर्मेंद्र कुमार की पुत्री रागिनी कुमारी ने 65वीं बीपीएससी परीक्षा में 213 वीं रै.....
07/10/2021
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
हो जाओ तैयार, मां अम्बे आ रही हैं,
सजा लो दरबार मां दुर्गा आ रही हैं,
तन, मन और जीवन हो जाएगा पावन,
मां के कदमों की आहट से, गूंज उठेगा घर-आंगन।
नवरात्रि 2021 की हार्दिक बधाई।
05/09/2021
बंदउँ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।
महामोह तम पुंज जासु बचन रबिकर निकर।।
अर्थात-
गुरु को नारायण का रूप माना गया हैं। हमेशा हमलोग अपने गुरु के चरण कमलों की वंदना करते हैं।ऐसा कहा जाता है, कि सूरज के उगने से फैला सारा अँधेरा नष्ट हो जाता हैं। इसी तरह गुरु हमारे मोहरूपी सभी अंधकार को ख़त्म कर देता हैं।
01/09/2021
Congratulations !! Abhishek Singh.
He is a student of polytechnic 3rd year,DBGI Dehradun, Uttrakhand. Our Academic Coordinator 'Anubhav Aakarsh' had tuitioned him for mathematics during 1st lockdown and with hardwork and proper guidance, he achieved this height.
Abhishek Singh was also a former student of Holy Crescent Public School.
30/08/2021
Birth Story of Krishna: श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के जन्म की कथा सुनना पुण्य फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन परमावतार भगवान श्री कृष्ण के पूजन के साथ उनकी लीलीओं की झांकी सजाना और कथा सुनना समान पुण्य प्रदान करता है। इस कारण ही इस दिन कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी के दिन भगवान की लीलाओं की मनमोहक झांकियां सजाई जाती हैं। जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के जन्म की कथा का पाठ करना और सुनना भक्तों के सभी कष्ट दूर करता है और उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है....
भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा
भागवत पुराण के अनुसार द्वापर युग में मथुरा नगरीपर कंस नाम का एक अत्याचारी राजा शासन करता था। अपने पिता राजा उग्रसेन को गद्दी से हटाकर वो स्वयं राजा बन गया था। मथुरा की प्रजा उसके शासन में बहुत दुखी थी। लेकिन वो अपनी बहन देवकी को बहुत प्यार करता था। उसने देवकी का विवाह अपने मित्र वासुदेव से कराया। जब वो देवकी और वासुदेव को उनके राज्य ले कर जा रहा था तभी एक आकाशवाणी हुई - 'हे कंस! जिस बहन को तू उसके ससुराल छोड़ने जा रहा है, उसके गर्भ से पैदा होने वाली आठवीं संतान तेरी मौत का कारण बनेगी।' आकाशवाणी सुनकर कंस क्रोधित हो उठा और वसुदेव को मारने बढ़ा। तब देवकी ने अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए कहा कि उनकी जो भी संतान जन्म लेगी, उसे वो कंस को सौंप देगी। कंस ने बहन की बात मान कर दोनों को कारागार में डाल दिया।
कारागार में कृष्णावतार
कारागार में देवकी ने एक-एक करके सात बच्चों को जन्म दिया, लेकिन कंस ने उन सभी का वध कर दिया। हालांकि सातवीं सन्तान के रूप में जन्में शेषावतार बलराम को योग माया ने संकर्षित कर माता रोहणी के गर्भ में पहुचां दिया था, इसलिए ही बलराम को संकर्षण भी कहा जाता है। आकाशवाणी के अनुसार माता देवकी की आठवीं संतान रूप में स्वयं भगवान विष्णु कृष्णावतार के रूप में पृथ्वी पर जन्मे थे। उसी समय माता यशोदा ने एक पुत्री को जन्म दिया। इस बीच कारागार में अचानक प्रकाश हुआ और भगवान श्रीहरि विष्णु प्रकट हुए। उन्होंने वसुदेव से कहा कि आप इस बालक को अपने मित्र नंद जी के यहां ले जाओ और वहां से उनकी कन्या को यहां लाओ।
नंद जी के घर पहुंचे बाल गोपाल
भगवान विष्णु के आदेश से वसुदेव जी भगवान कृष्ण को सूप में अपने सिर पर रखकर नंद जी के घर की ओर चल दिए। भगवान विष्णु की माया से सभी पहरेदार सो गए, कारागार के दरवाजे खुल गए, यमुना ने भी शांत होकर वसुदेव जी के जाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। वसुदेव भगवान कृष्ण को लेकर नंद जी के यहां सकुशल पहुंच गए और वहां से उनकी नवजात कन्या को लेकर वापस आ गए। जब कंस को देवकी की आठवीं संतान के जन्म की सूचना मिली। वह तत्काल कारागार में आया और उस कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटकना चाहा। लेकिन वह कन्या उसके हाथ से निकल कर आसमान में चली गई। फिर कन्या ने कहा- 'हे मूर्ख कंस! तूझे मारने वाला जन्म ले चुका है और वह वृंदावन पहुंच गया है। अब तुझे जल्द ही तेरे पापों का दंड मिलेगा।' वह कन्या कोई और नहीं, स्वयं योग माया थीं।
15/08/2021
Admission open for session 2021-22
साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता हैl भारत इस साल अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा हैl भारत को आजादी दिलाने के लिए अपनी जान गंवाने वाले वीर सपूतों की याद में 15 अगस्त के दिन हर कोई देशभक्ति के रंग में रंगा हुआ दिखना चाहता हैl
सुन्दर है जग में सबसे, नाम भी न्यारा हैl
जहां जाति-भाषा से बढ़कर, देश-प्रेम की धारा हैl
जहां हर जुबां पर सर्वधर्म समभाव और जय हिंद का नारा हैl
निश्छल, पावन, प्रेम पुराना, वो भारत देश हमारा है l
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !!
05/08/2021
now and then...
#हाईस्कूल_का_रिजल्ट_तो_हमारे_जमाने_में_ही_आता_था...
रिजल्ट तो हमारे जमाने में आते थे, जब पूरे बोर्ड का रिजल्ट 17 ℅ हो, और उसमें भी आप ने वैतरणी तर ली हो (डिवीजन मायने नहीं, परसेंटेज कौन पूँछे) तो पूरे कुनबे का सीना चौड़ा हो जाता था।
दसवीं का बोर्ड...बचपन से ही इसके नाम से ऐसा डराया जाता था कि आधे तो वहाँ पहुँचने तक ही पढ़ाई से सन्यास ले लेते थे। जो हिम्मत करके पहुँचते, उनकी हिम्मत गुरुजन और परिजन पूरे साल ये कहकर बढ़ाते,"अब पता चलेगा बेटा, कितने होशियार हो, नवीं तक तो गधे भी पास हो जाते हैं" !!
रही-सही कसर हाईस्कूल में पंचवर्षीय योजना बना चुके साथी पूरी कर देते..." भाई, खाली पढ़ने से कुछ नहीं होगा, इसे पास करना हर किसी के लक में नहीं होता, हमें ही देख लो...
और फिर , जब रिजल्ट का दिन आता। ऑनलाइन का जमाना तो था नहीं,सो एक दिन पहले ही शहर के दो- तीन हीरो (ये अक्सर दो पंच वर्षीय योजना वाले होते थे) अपनी हीरो स्प्लेंडर या यामहा में शहर चले जाते। फिर आधी रात को आवाज सुनाई देती..."रिजल्ट-रिजल्ट"
पूरा का पूरा मुहल्ला उन पर टूट पड़ता। रिजल्ट वाले #अखबार को कमर में खोंसकर उनमें से एक किसी ऊँची जगह पर चढ़ जाता। फिर वहीं से नम्बर पूछा जाता और रिजल्ट सुनाया जाता...पाँच हजार एक सौ तिरासी ...फेल, चौरासी..फेल, पिचासी..फेल, छियासी..सप्लीमेंट्री !!
कोई मुरव्वत नहीं..पूरे मुहल्ले के सामने बेइज्जती।
रिजल्ट दिखाने की फीस भी डिवीजन से तय होती थी,लेकिन फेल होने वालों के लिए ये सेवा पूर्णतया निशुल्क होती।
जो पास हो जाता, उसे ऊपर जाकर अपना नम्बर देखने की अनुमति होती। टोर्च की लाइट में प्रवेश-पत्र से मिलाकर नम्बर पक्का किया जाता, और फिर 10, 20 या 50 रुपये का पेमेंट कर पिता-पुत्र एवरेस्ट शिखर आरोहण करने के गर्व के साथ नीचे उतरते।
जिनका नम्बर अखबार में नहीं होता उनके परिजन अपने बच्चे को कुछ ऐसे ढाँढस बँधाते... अरे, कुम्भ का मेला जो क्या है, जो बारह साल में आएगा, अगले साल फिर दे देना एग्जाम...
पूरे मोहल्ले में रतजगा होता।चाय के दौर के साथ चर्चाएं चलती, अरे ... फलाने के लड़के ने तो पहली बार में ही ...
आजकल बच्चों के मार्क्स भी तो #फारेनहाइट में आते हैं।
99.2, 98.6, 98.8.......
और हमारे जमाने में मार्क्स #सेंटीग्रेड में आते थे....37.1, 38.5, 39
हाँ यदि किसी के मार्क्स 50 या उसके ऊपर आ जाते तो लोगों की खुसर -फुसर .....
नकल की होगी ,मेहनत से कहाँ इत्ते मार्क्स आते हैं।
वैसे भी इत्ता पढ़ते तो कभी देखा नहीं । (भले ही बच्चे ने रात रात जगकर आँखें फोड़ी हों)
सच में, रिजल्ट तो हमारे जमाने में ही आता था।
साभार - सोशल मीडिया
😃😀🤪😝😂