Jai Shree Ram 🙏🏻
Happy Dusshera
Sanatan Dharam Senior Secondary School
Sanatan Dharam Senior Secondary School, Jhajjar was established in 1914.
Introduction _ Honourable Sh Din Dayalu ji established S.D.Sr.Sec.School JJR in 1914.He gave free of cost education to needy students.
* Seth Sh Anand Swaroop Sharma ji (karachi wale)gave a new format of school with great efforts.
*Purpose _Introduce people to give quality education in affordable cost,so that every category of society can take its benefits.
*Our vision_ "our vision is to excell
Operating as usual

Ramleela performed by our Tiny Tots.
Jai Shree Ram 🙏🏻

🙏🏻 Nine Swaroop of Maa Durga🙏🏻
Dance Performance at District Level Competition held at Bal Bhawan, Jhajjar and got 3rd position....
Congratulations to all.

Dandiya Dance by our Tiny Tots...

Navratri celebration in school campus ....

भगत सिंह, भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे। चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया। पहले लाहौर में बर्नी सैंडर्स की हत्या और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। इन्होंने असेम्बली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप अंग्रेज सरकार ने इन्हें २३ मार्च १९३१ को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया।

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी। वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे। राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में कई लेख लिखे, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।

गजाननाय पूर्णाय सांख्यरूपमयाय ते।
विदेहेन च सर्वत्र संस्थिताय नमो नमः।।

सर मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरय्या (श्री एम. विश्वेश्वरैया जी ) भारत के महान अभियन्ता थे। उन्हें सन 1955 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से विभूषित किया गया था। भारत में उनका जन्मदिन अभियन्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

श्री कुप्पाहाली सीतारमय्या सुदर्शन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पाँचवें सरसंघचालक थे। वे श्री मोहन भागवत को छठवाँ सरसंघचालक नियुक्त कर स्वेच्छा से पदमुक्त हो गये। 15 सितम्बर 2012 को अपने जन्मस्थान रायपुर में 81 वर्ष की अवस्था में इनका निधन हो गया।

Slogan Writing Competition and Hindi Hand Writing Competition

हिंदी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि हिंदी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। क्योंकि भारत मे अधिकतर क्षेत्रों में ज्यादातर हिंदी भाषा बोली जाती थी इसलिए हिंदी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया और इसी निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिंदी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिंदी -दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए काका कालेलकर, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्ददास आदि साहित्यकारों को साथ लेकर व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने अथक प्रयास किये।

हर साल 11 सितंबर को देश में राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाया जाता है | यह दिन देशभर में तैनात उन कर्मचारियों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने भारत में वन्यजीवों, जंगलों और जंगलों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी | इस दिन वन रक्षकों, कर्मचारियों और अधिकारियों के बलिदान को याद करने के लिए मनाया जाता है | भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के रूप में मनाए जाने का फैसला किया था |

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था, 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी। उनका कार्यकाल युग की सन्धि पर खड़ा है। उन्होंने रीतिकाल की विकृत सामन्त संस्कृति की पोषक वृत्तियों को छोड़कर स्वस्थ परम्परा की भूमि अपनाई और नवीनता के बीज बोये। हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है। भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध भारतेन्दु जी ने देश की गरीबी, पराधीनता, शासकों के अमानवीय शोषण के चित्रण को ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया। हिन्दी को राष्ट्र-भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में उन्होंने अपनी प्रतिभा का उपयोग किया। ब्रिटिश राज की शोषक प्रकृति का चित्रण करने वाले उनके लेखन के लिए उन्हें युग चरण माना जाता है।

गोगाजी चौहान राजस्थान के लोक देवता हैं जिन्हे जाहर पीर के नाम से भी जाना जाता है। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक शहर गोगामेड़ी है। यहां भादों कृष्णपक्ष की नवमी को गोगाजी देवता का मेला लगता है। इन्हें हिन्दू,सिखऔर मुसलमान तीनो पूजते हैं। गुजरात मे रेबारी जाति के लोग गोगाजी को गोगा महाराज केे नाम सेे बुलाते है।

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस एक अंतर्राष्ट्रीय उत्सव है, जो हर साल 8 सितंबर को मनाया जाता है, जिसे यूनेस्को द्वारा 26 अक्टूबर 1966 को यूनेस्को के सामान्य सम्मेलन के 14वें सत्र में घोषित किया गया था। यह पहली बार 1967 में मनाया गया था। इसका उद्देश्य व्यक्तियों, समुदायों और समाजों के लिए साक्षरता के महत्व को उजागर करना है।

राधे कृष्णा हरे कृष्णा हरे हरे...

डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति (1952 — 1962) और द्वितीय राष्ट्रपति रहे। वे भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे। उनके इन्हीं गुणों के कारण सन् 1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया था। उनका जन्मदिन (5 सितम्बर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

श्रील भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद जी, ,सनातन हिन्दू धर्म के एक प्रसिद्ध गौडीय वैष्णव गुरु तथा धर्मप्रचारक थे।आज समस्त विश्व के करोडों लोग जो सनातन धर्म के अनुयायी बने हैं उसका श्रेय जाता है श्रील अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद को, इन्होंने वेदान्त कृष्ण-भक्ति और इससे संबंधित क्षेत्रों पर शुद्ध कृष्ण भक्ति के प्रवर्तक श्री ब्रह्म-मध्व-गौड़ीय संप्रदाय के पूर्वाचार्यों की टीकाओं के प्रचार प्रसार और कृष्णभावना को पश्चिमी जगत में पहुँचाने का काम किया। ये भक्तिसिद्धांत ठाकुर सरस्वती के शिष्य थे जिन्होंने इनको अंग्रेज़ी भाषा के माध्यम से वैदिक ज्ञान के प्रसार के लिए प्रेरित और उत्साहित किया। इन्होंने इस्कॉन (ISKCON) की स्थापना की और कई वैष्णव धार्मिक ग्रंथों का प्रकाशन और संपादन स्वयं किया।

भारत में प्रतिवर्ष श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रावणी पूर्णिमा अर्थात् रक्षा बन्धन ऋषियों के स्मरण तथा पूजा और समर्पण का पर्व माना जाता है। वैदिक साहित्य में इसे श्रावणी कहा जाता था। इसी दिन गुरुकुलों में वेदाध्ययन कराने से पहले यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। इस संस्कार को उपनयन अथवा उपाकर्म संस्कार कहते हैं। इस दिन पुराना यज्ञोपवीत भी बदला जाता है। ब्राह्मण यजमानों पर रक्षासूत्र भी बांधते हैं। ऋषि ही संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत हैं, इसलिए श्रावणी पूर्णिमा को ऋषि पर्व और संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। राज्य तथा जिला स्तरों पर संस्कृत दिवस आयोजित किए जाते हैं। इस अवसर पर संस्कृत कवि सम्मेलन, लेखक गोष्ठी, छात्रों की भाषण तथा श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है, जिसके माध्यम से संस्कृत के विद्यार्थियों, कवियों तथा लेखकों को उचित मंच प्राप्त होता है।

प्रणव कुमार मुखर्जी, भारत के तेरहवें राष्ट्रपति रह चुके हैं। 26 जनवरी 2019 को प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया। सीधे मुकाबले में उन्होंने अपने प्रतिपक्षी प्रत्याशी पी.ए. संगमा को हराया। उन्होंने 25 जुलाई 2012 को भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। प्रणब मुखर्जी ने किताब 'द कोलिएशन ईयर्स: 1996-2012' लिखा है।

रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ

Rakhi Making Competition in School Campus

राष्ट्रीय खेल दिवस विभिन्न देशों में राष्ट्रीय खेल टीमों और उन देशों की खेल परंपराओं का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न आयु वर्ग के लोग कबड्डी, मैराथन, बास्केटबॉल, हॉकी आदि खेलों में भाग लेते हैं। भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस 29 अगस्त को हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती पर मनाया जाता है। यह दिन 1928, 1932 और 1936 में भारत के लिए ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद सिंह के जन्मदिन का प्रतीक है। उन्होंने अपने करियर में 400 से अधिक गोल किये। अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी क्षेत्र पर उन्होंने अपनी मुहर लगाई। वह भारतीय और विश्व हॉकी में एक महान हस्ती हैं। उनके लिए सबसे प्रसिद्ध स्मारक मेजर ध्यानचंद पुरस्कार है जो भारत में खेलों में जीवन भर की उपलब्धि के लिए सर्वोच्च पुरस्कार है। उनके जन्मदिन पर राष्ट्रीय खेल दिवस समारोह होता है। इस दिन राष्ट्रपति, मेजर ध्यान चंद खेल रत्न, अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार नामित लोगों को प्रदान करते हैं।

रघुपति सहाय "फ़िराक़", जिन्हें उनके शायरी के उपनाम "फ़िराक़" गोरखपुरी से अधिक जाना जाता है, उर्दू भाषा के प्रसिद्ध रचनाकार है। उनका जन्म गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में कायस्थ परिवार में हुआ। रामकृष्ण की कहानियों से शुरुआत के बाद की शिक्षा अरबी, फ़ारसी और अंग्रेजी में हुई। बाद में फ़िराक़ साहब इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के अध्यापक रहे और उर्दू भाषा में अपनी रचनाएं लिखी।

चौधरी बंसी लाल, एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री रहे। उनका जन्म हरियाणा के भिवानी जिले के गोलागढ़ गांव के जाट परिवार में हुआ था। उन्होंने 4 अलग-अलग अवधियों: 1968-72 ,1972-75, 1986-87 एवं 1996-99 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। बंसी लाल को 1975 में आपातकाल के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी का एक करीबी विश्वासपात्र माना जाता था। उन्होंने दिसंबर 1975 से मार्च 1977 तक रक्षा मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी एवं 1975 में केंद्र सरकार में बिना विभाग के मंत्री के रूप में उनका एक संक्षिप्त कार्यकाल रहा। उन्होंने रेलवे और परिवहन विभागों का भी संचालन किया। लगातार सात बार राज्य विधानसभा के लिए चुने गए, पहली बार 1967 में. उन्होंने 1996 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा विकास पार्टी की स्थापना की।। बंसी लाल एक विकास पुरुष माने जाते है, और अपने तानाशाही व्यक्तित्व के लिए भी जाने जाते है।

महिला समानता दिवस, प्रत्येक वर्ष '26 अगस्त' को मनाया जाता है। न्यूजीलैंड विश्व का पहला देश है, जिसने 1893 में महिला समानता की शुरुआत की। भारत में आज़ादी के बाद से ही महिलाओं को वोट देने का अधिकार प्राप्त तो था, लेकिन पंचायतों तथा नगर निकायों में चुनाव लड़ने का क़ानूनी अधिकार 73वे संविधान संशोधन के माध्यम से स्वर्गीय प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के प्रयास से मिला। इसी का परिणाम है कि आज भारत की पंचायतों में महिलाओं की 50 प्रतिशत से अधिक भागीदारी है।

चंद्रयान-3 चाँद पर खोजबीन करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा भेजा गया तीसरा भारतीय चंद्र मिशन है। इसमें चंद्रयान-2 के समान एक लैंडर और एक रोवर है, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं है। यह मिशन चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है, क्योंकि पिछला मिशन सफलता पूर्वक चाँद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद अंतिम समय में मार्गदर्शन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण सॉफ्ट लैंडिंग में विफल हो गया था, सॉफ्ट लैंडिंग का पुनः सफल प्रयास करने हेतु इस नए चंद्र मिशन को प्रस्तावित किया गया था।

शिवराम हरि राजगुरु, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। इन्हें भगत सिंह और सुखदेव के साथ २३ मार्च १९३१ को फाँसी पर लटका दिया गया था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में राजगुरु की शहादत एक महत्वपूर्ण घटना थी। शिवराम हरि राजगुरु का जन्म भाद्रपद के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी में पुणे जिला के खेडा गाँव में हुआ था। 6 वर्ष की आयु में पिता का निधन हो जाने से बहुत छोटी उम्र में ही ये वाराणसी विद्याध्ययन करने एवं संस्कृत सीखने आ गये थे। इन्होंने हिन्दू धर्म-ग्रंन्थों तथा वेदो का अध्ययन तो किया ही लघु सिद्धान्त कौमुदी जैसा क्लिष्ट ग्रन्थ बहुत कम आयु में कण्ठस्थ कर लिया था। इन्हें कसरत (व्यायाम) का बेहद शौक था और छत्रपति शिवाजी की छापामार युद्ध-शैली के बड़े प्रशंसक थे।

गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिन्दी साहित्य के महान सन्त कवि थे। रामचरितमानस इनका गौरव ग्रन्थ है। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस का कथानक रामायण से लिया गया है। रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46वाँ स्थान दिया गया। तुलसीदास जी स्मार्त वैष्णव थे।

नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की [शुक्ल पक्ष]] के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है। नाग को दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने या प्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है। शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है। इस दिन नवनाग की पूजा की जाती है। आज के पावन पर्व पर वाराणसी (काशी) में नाग कुआँ नामक स्थान पर बहुत बड़ा मेला लगता है |


सुभाष चन्द्र बोस (23 जनवरी 1897 - 18 अगस्त 1945) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिए, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया "जय हिन्द" का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया। भारतवासी उन्हें नेता जी के नाम से सम्बोधित करते हैं।

पेशवा बाजीराव प्रथम (श्रीमन्त पेशवा बाजीराव बल्लाळ भट्ट) (1700 - 1740) महान सेनानायक थे। वे 1720 से 1740 तक मराठा साम्राज्य के चौथे छत्रपति शाहूजी महाराज के पेशवा (प्रधानमन्त्री) रहे। इनका जन्म चितपावन कुल के ब्राह्मण परिवार में हुआ। इनको 'बाजीराव बल्लाळ' तथा 'थोरले बाजीराव' के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें लोग अपराजित हिन्दू सेनानी सम्राट भी कहते थे। इन्होंने अपने कुशल नेतृत्व एवं रणकौशल के बल पर मराठा साम्राज्य का विस्तार (विशेषतः उत्तर भारत में) किया। इसके कारण ही उनकी मृत्यु के 20 वर्ष बाद उनके पुत्र के शासनकाल में मराठा साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच सका। बाजीराव प्रथम को सभी 9 महान पेशवाओं में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

लेफ्टिनेंट कर्नल ए॰ बी॰ तारापोर, भारतीय सेना के अधिकारी थे। इन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध 1965 में अद्वितीय साहस व वीरता का परिचय दिया तथा देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। फिल्लौर की लड़ाई में अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन करने के लिए इन्हें वर्ष 1965 में मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

मदनलाल ढींगरा, भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अप्रतिम क्रान्तिकारी थे। भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को अग्नि में बदलने का श्रेय महान शहीद मदन लाल ढींगरा को ही जाता है । भले ही मदन लाल ढींगरा के परिवार में राष्ट्रभक्ति की कोई ऐसी परंपरा नहीं थी, किंतु वह खुद से ही देश भक्ति के रंग में रंगे गए थे । वे इंग्लैण्ड में अध्ययन कर रहे थे जहाँ उन्होने विलियम हट कर्जन वायली नामक एक ब्रिटिश अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी। कर्जन वायली की हत्या के आरोप में उन पर 23 जुलाई, 1909 का अभियोग चलाया गया । मदन लाल ढींगरा ने अदालत में खुले शब्दों में कहा कि "मुझे गर्व है कि मैं अपना जीवन समर्पित कर रहा हूं।" यह घटना बीसवीं शताब्दी में भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन की प्रथम घटनाओं में से एक है।
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