Ram Gopal Singh

Ram Gopal Singh is director of NIMS Kanpur. He is a mathematician, academician and social thinker.

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13/06/2024

गणेश दामोदर सावरकर की जयंती है आज ।
13 जून 2024, गुरुवार । आज विनायक दामोदर सावरकर के बड़े भाई गणेश दामोदर सावरकर की जयंती है । वीर सावरकर के बड़े भाई गणेश दामोदर सावरकर को उतनी पहचान नहीं मिल पाई है, जबकि गणेश दामोदर सावरकर का भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान किसी से कम नहीं है । उन्हें बाबाराव सावरकर के नाम से भी जाना जाता है । बाबाराव का जन्म 13 जून 1879 को महाराष्ट्र के नासिक के पास भागपुर नामक गांव में चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था । शुरुआती शिक्षा के दौरान इनका मन धर्म, योग और जप-तप में ज्यादा लगता था. वह संन्यासी बनने की सोचने लगे थे । इस बीच इनके पिता का प्लेग महामारी में निधन हो गया । पिता की मौत से 7 साल पहले मां राधाबाई का भी निधन हो चुका था । बाबाराव घर में सबसे बड़े थे, ऐसे में इनके ऊपर अपने दो छोटे भाइयों और बहन की जिम्मेदारी आ गई । वह इस जिम्मेदारी के साथ-साथ धर्म के प्रति भी अपना कर्तव्य निभाते रहे । वह अभिनव भारत सोसायटी नामक क्रांतिकारी दल से जुड़ गए और जल्द ही उसके सक्रिय सदस्य हो गए । कहा जाता है कि अभिनव भारत सोसायटी नामक क्रांतिकारी दल की स्थापना बाबाराव ने ही सन 1904 की थी । बाद में इनके छोटे भाई वीर सावरकर भी इसी दल से जुड़े । बाबाराव अच्छे लेखक भी थे । काफी शोध के बाद उन्होंने अंग्रेजी में ‘इंडिया एज ए नेशन’ नाम से एक किताब लिखी । किताब जब्त न हो इसके लिए किताब छद्म नाम दुर्गानंद नाम से लिखी गई । हालांकि अंग्रेजों को इसका पता चल गया और किताब पर प्रतिबंध लग गया । साल 1909 में नासिक से बाबाराव को गिरफ्तार किया गया और उनपर देशद्रोह का मुकदमा चला । इन्हें भी काला पानी की सजा सुनाई गई । बाबाराव भी पूरे 20 साल तक अंडमान की सेल्युलर जेल में बंद रहे । वर्ष 1921 में उन्हें गुजरात लाया गया । यहां साबरमती जेल में एक साल तक बंद रहे । इसके बाद अंग्रेजों ने इन्हें छोड़ दिया । जेल से छूटने के बाद भी बाबाराव शांत नहीं बैठे । उन्होंने बहुसंख्यकों को एकजुट करने का काम शुरू किया । अपने इसी मकसद को लेकर वह डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार से मिले । उनसे मिलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस की रूप-रेखा तैयार हुई थी । बाबाराव ने इस दौरान मराठी में 'राष्ट्र मीमांसा' नाम से एक निबंध लिखा था । यह अंग्रेजी में गोलवलकर के नाम से 'We or our Nationhood Defined' शीर्षक से छपा था । बाबाराव लिखित इस निबंध ने ही एक तरह से आरएसएस की मूलभूत अवधारणा को स्पष्ट किया था । यही कारण है कि उन्हें आरएसएस के पांच संस्थापकों में से एक माना जाता है । गणेश दामोदर सावरकर का निधन 16 मार्च 1945 को हुआ था ।

06/06/2024

वट सावित्री व्रत है आज ।
6 जून 2024, गुरुवार । आज वट सावित्री व्रत है । आज ज्येष्ठ मास की अमावस्या है । ज्येष्ठ मास की अमावस्या को हिन्दू महिलाएं वट सावित्री व्रत रखती है । हिंदू धर्म में पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं साल भर में कई व्रत रखती हैं। इन्हीं में से एक व्रत है वट सावित्री व्रत । हर साल यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस बार वट सावित्री व्रत के लिए बहुत ही अच्छा संयोग बन रहा है । इस बार वट सावित्री व्रत के दिन सोमवती अमावस्या, सर्वार्थसिद्ध योग, अमृतसिद्ध योग के साथ-साथ त्रिग्रही योग लग रहा है । इसलिए इस वर्ष वट सावित्री व्रत अधिक फलदायी है । आज के दिन सभी सुहागन महिलाएं पूरे 16 श्रृंगार कर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं । ऐसा पति की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है । पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन ही सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे । इस कारण से ऐसी मान्यता चली आ रही है कि जो स्त्री सावित्री के समान यह व्रत करती है, उसके पति पर भी आनेवाले सभी संकट इस पूजन से दूर हो जाते हैं ।

05/06/2024

विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ।
5 जून 2024, बुधवार । आज विश्व पर्यावरण दिवस है । पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु प्रति वर्ष 5 जून को, पूरे विश्व में, विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है । इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी । वर्ष 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 5 जून से 16 जून तक मानव पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन किया गया था । इसी चर्चा के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का सुझाव भी दिया गया और इसके दो साल बाद, 5 जून 1974 से इसे मनाना भी शुरू कर दिया गया । 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया । 1987 में इसके केन्द्र को बदलते रहने का सुझाव सामने आया और उसके बाद से ही इसके आयोजन के लिए अलग अलग देशों को चुना जाता है । इसमें हर साल 143 से अधिक देश भाग लेते हैं और इसमें कई सरकारी, सामाजिक और व्यावसायिक लोग पर्यावरण की सुरक्षा, समस्या आदि विषय पर बात करते हैं ।

01/06/2024

ग्लोबल पेरेंट्स डे (Global Parents Day ) है आज ।
1 जून 2024, शनिवार । आज ग्लोबल पेरेंट्स डे (Global Parents Day ) है । हर वर्ष 01 जून को दुनिया भर में ग्लोबल पेरेंट्स डे मनाया जाता है । किसी भी क्षेत्र में बच्चे की प्राथमिक पाठशाला और प्राथमिक देखभाल करने वाले माता-पिता ही होते है । माता-पिता के सम्मान में प्रति वर्ष 01 जून को ग्लोबल डे ऑफ़ पेरेंट्स यानि वैश्विक माता-पिता दिवस मनाया जाता है । ग्लोबल पेरेंट्स डे मानाने की शुरुआत 1994 में संयुक्त राष्ट्र महा सभा द्वारा वैश्विक स्तर पर माता-पिता को सम्मान देने के विचार से हुई । अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पारिवारिक प्रतिबद्धता और माता-पिता की जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए माता-पिता दिवस मनाने के लिए एक कांग्रेस के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया था । इस विचार को यूनिफिकेशन चर्च, सीनेटर ट्रेंट लॉट ने समर्थन दिया और बिल को सीनेट में पेश किया गया । जिसकी आधिकारिक घोषणा 1 जून साल 2012 में यूएन जनरल असेंबली में की गई ।

24/05/2024

नारद जयंती की हार्दिक शुभकामनायें ।
24 मई 2024, शुक्रवार । आज नारद जयंती है । आज ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा है । भगवान विष्णु के परम भक्त देवर्षि नारद का जन्म ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को हुआ था । नारद जयंती हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मनाई जाती है । देवर्षि नारद भगवान् बृह्मा के मानस पुत्र है । नारदजी विष्णु भगवान के परम भक्तों में से एक माने जाते हैं । देवर्षि नारद मुनि विभिन्न लोकों में यात्रा करते रहते है , जिनमें पृथ्वी, आकाश और पाताल शामिल है । ताकि देवी-देवताओं तक संदेश और सूचना का संचार किया जा सके । नारद जी एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते हुए एक लोक के समाचार दूसरे लोक में पहुंचाते है , इसीलिए नारद जी को आदि पत्रकार भी कहा जाता है । नारद मुनि के हाथ में हमेशा वीणा मौजूद रहती है । नारद जी वीणा बजाते हुए सदैव भगवन की स्तुति करते रहते है । देवर्षि नारद व्यासजी, वाल्मीकि तथा परम ज्ञानी शुकदेव जी के गुरु माने जाते हैं । कहा जाता है कि नारद मुनि सच्चे सहायक के रूप में हमेशा सच्चे और निर्दोष लोगों की पुकार श्री हरि तक पहुंचाते है । इन्होंने देवताओं के साथ-साथ असुरों का भी सही मार्गदर्शन किया । यही वजह है कि सभी लोकों में उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है ।

Ram Gopal Singh Ram Gopal Singh is director of NIMS Kanpur. He is a mathematician, academician and social thinker.

23/05/2024

बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें ।
23 मई 2024, गुरुवार । आज बुद्ध पूर्णिमा है । वैशाख पूर्णिमा को ही बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है । वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध जी का जन्म हुआ था और बैशाख पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध जी का महापरिनिर्वाण भी हुआ था । इसी दिन महात्मा बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। बैशाख पूर्णिमा के दिन 563 ई.पू. में बुद्ध का जन्म लुंबिनी, भारत (आज का नेपाल) में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध जी ने 483 ई. पू. में ८० वर्ष की आयु में, देवरिया जिले के कुशीनगर में निर्वाण प्राप्त किया था । महात्मा बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बुद्धत्व या संबोधी) और महापरिनिर्वाण ये तीनों एक ही दिन अर्थात वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे। अपने मानवतावादी एवं विज्ञानवादी बौद्ध धम्म दर्शन से महात्मा बुद्ध दुनिया के सबसे महान महापुरुष है । आज बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में 180 करोड़ से अधिक लोग इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध, भगवान विष्णु के नौवें अवतार हैं । अतः हिन्दुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार भारत, चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, बांग्ला देश, पाकिस्तान तथा विश्व के कई देशों में मनाया जाता है ।

21/05/2024

नृसिंह जयंती की हार्दिक शुभकामनायें ।
21 मई 2024, मंगलवार । आज नरसिंह जयंती है । आज बैसाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी है । नृसिंह जयंती का पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है । नरसिंह भगवान विष्णु के चौथे अवतार हैं । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने और उसके अत्याचारी पिता हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए नृसिंह अवतार लिया था । नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने आधे शेर और आधे मानव के रूप में अवतार लिया था । नरसिंह अवतार में उनका चेहरा और पंजे सिंह की तरह थे और शरीर का बाकी हिस्सा मानव की तरह था । नरसिंह जयंती हिन्दू धर्म में एक महत्वूपर्ण दिन व त्योहार माना जाता है । यह त्योहार वैशाख मास के शुक्ल की चतुदर्शी के दिन मनाया जाता है । नरसिंह भगवान वैशाख मास के शुक्ल की चतुदर्शी को सूर्यास्त के समय प्रकट हुए थे । इसीलिए सूर्यास्त के समय भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है । भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार माने जाते हैं । इनकी उपासना करने से हर प्रकार के संकट और दुर्घटना से रक्षा होती है । हर प्रकार से मुकदमे, शत्रु और विरोधी शांत होते हैं. तंत्र-मंत्र की बाधाएं भी समाप्त होती हैं ।

16/05/2024

सीता नवमी की हार्दिक शुभकामनायें ।
16 मई 2024, गुरुवार । आज सीता नवमी या जानकी जयंती है । आज बैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी है । प्रत्येक वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी मनाई जाती है । वैशाख शुक्ल नवमी तिथि को सीता जी का प्रकाट्य हुआ था, इसलिए इसे जानकी जयंती या सीता नवमी के नाम से जाना जाता है । आज 16 मई 2024, गुरुवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है । आज स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त है । इस दुर्लभ संयोग पर देवी मां सीता के साथ भगवान राम का पूजन करना श्रेष्ठ रहता है । जिस प्रकार राम नवमी को बहुत शुभ फलदायी पर्व के रूप में मनाया जाता है उसी प्रकार सीता नवमी भी बहुत शुभ फलदायी माना गया है । भगवान श्री राम को विष्णु तो माता सीता को लक्ष्मी का स्वरूप कहा गया है । इस सौभाग्यशाली दिन माता सीता की पूजा अर्चना प्रभु श्री राम के साथ करते हैं तो भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है ।

14/05/2024

गंगा सप्तमी की हार्दिक शुभकामनायें ।
14 मई 2024, मंगलवार । आज गंगा सप्तमी है । आज बैसाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी है । बैसाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा सप्तमी कहते है । इस दिन गंगा मैया के स्मरण, पूजन और स्नान से धन-सम्पत्ति, सुख और यश-सम्मान की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का नाश होता है । ज्योतिषीय धारणा के अनुसार इस दिन गंगा पूजन से ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं । गंगा पूजन करना मोक्ष प्रदायक, अमोघ फलदायक माना गया है । इस दिन किया दान कई जन्मों के पुण्य के रूप में प्राणी को मिलता है ।

14/05/2024

संभाजी महाराज की जयंती है आज ।
14 मई 2024, मंगलवार । आज संभाजी महाराज की जयंती है । संभाजी भोसले का जन्म 14 मई, 1657 को हुआ था । संभाजी महाराज मराठा सम्राट और छत्रपती शिवाजी महाराज और उनकी पत्नी साईबाई की पहली संतान थे । संभाजी भोसले ने 2 साल की उम्र में अपनी मां को खो दिया था और जीजाबाई ने उनका पालन-पोषण किया था । छत्रपती सम्भाजी राजे (संभाजी या छत्रपति सम्भाजी राजे भोसले या शम्भुराजे ) मराठा सम्राट और छत्रपती शिवाजी महाराज के उत्तराधिकारी थे । शिवाजी महाराज के सबसे बड़े पुत्र संभाजी भोसले अपने पिता के निधन के बाद मराठा साम्राज्य के दूसरे शासक बने । उस समय मराठों के सबसे प्रबल शत्रु मुगल बादशाह औरंगज़ेब का बीजापुर और गोलकुण्डा का शासन हिन्दुस्तान से समाप्त करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही । सम्भाजी राजे अपनी शौर्यता के लिये प्रसिद्ध थे । सम्भाजी राजे ने अपने कम समय के शासन काल में 210 युद्ध किये । इसमे एक प्रमुख बात ये थी कि उनकी सेना एक भी युद्ध में पराभूत नहीं हुई । उनके पराक्रम की वजह से परेशान हो कर औरंगज़ेब ने कसम खायी थी कि जब तक छत्रपती सम्भाजी राजे पकड़े नहीं जायेंगे, वो अपना किमोंश सर पर नहीं चढ़ाएगा । 11 मार्च 1689 को औरंगजेब ने छत्रपती सम्भाजी महाराज की बड़ी क्रूरता के साथ हत्या कर दी । संभाजी भोसले ने 9 साल तक शासन किया ।

12/05/2024

मदर्स डे ( Mother’s Day ) की हार्दिक शुभकामनायंक ।
12 मई 2024, रविवार । आज मदर्स डे ( Mother’s Day ) है । प्रति वर्ष मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे ( Mother’s Day ) मनाया जाता है । माँ हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है । किसी भी व्यक्ति का विकास उसकी माँ द्वारा की गयी परवरिश पर निर्भर होता है । माँ हमारे जन्म लेने से अपने अंतिम पल तक किसी छोटे बच्चे की तरह हमारा ख्याल रखती है । हम अपने जीवन में उनके योगदानों की गणना नहीं कर सकते है । यहाँ तक कि हम उनके सुबह से रात तक की क्रिया-कलापों की गिनती भी नहीं कर सकते । माँ के पास ढ़ेर सारी जिम्मेदारियाँ होती हैं । वो उसको लगातार बिना रुके और थके निभाती है । वो एकमात्र ऐसी इंसान है जिनका काम बिना किसी तय समय के असीमित होता है । हम उनके योगदान के बदले उन्हें कुछ भी वापस नहीं कर सकते । इसलिए हर व्यक्ति को अपनी माँ को सम्मान देना चाहिए और उनका ख्याल रखना चाहिए ।

12/05/2024

जगतगुरु आदि शंकराचार्य की जयंती पर कोटि कोटि नमन ।
12 मई 2024, रविवार । आज जगतगुरु आदि शंकराचार्य जी की जयंती है । आज बैसाख मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी है । सन 788 ई. में बैसाख मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को आदि शंकराचार्य का जन्म हुआ था । आदि शंकराचार्य भारत के एक महान दार्शनिक एवं धर्मप्रवर्तक थे । उन्होने अद्वैत वेदान्त को ठोस आधार प्रदान किया । उन्होने सनातन धर्म की विविध विचार धाराओं का एकीकरण किया । इन्होंने ब्रह्मसूत्रों की बड़ी ही विशद और रोचक व्याख्या की है । उपनिषदों और वेदांतसूत्रों पर लिखी हुई इनकी टीकाएँ बहुत प्रसिद्ध हैं । इन्होंने भारतवर्ष में चार मठों की स्थापना की, जिन पर आसीन संन्यासी 'शंकराचार्य' कहे जाते हैं । ये शंकर के अवतार माने जाते हैं । आदि शंकराचार्य जी का जन्म सन 788 ई. मे, केरल के एक छोटे से गाव कलादी, मे हुआ था । इनके पिता का नाम शिवगुरु भट्ट और माता का नाम सुभद्रा था । बहुत दिन तक सपत्नीक शिव को आराधना करने के अनंतर शिवगुरु ने पुत्र-रत्न पाया था, अत: उसका नाम शंकर रखा। जब ये तीन ही वर्ष के थे तब इनके पिता का देहांत हो गया । ये बड़े ही मेधावी तथा प्रतिभाशाली थे । छह वर्ष की अवस्था में ही ये प्रकांड पंडित हो गए थे । शंकराचार्य जी ने छह वर्ष की अवस्था में ही स्थानीय गुरुकुल से सभी वेदों और लगभग छ: से अधिक वेदांतो मे महारथ हासिल कर ली थी । आठ वर्ष की अवस्था में इन्होंने संन्यास ग्रहण किया था । पहले ये कुछ दिनों तक काशी में रहे, और तब इन्होंने विजिल बिंदु के तालवन में मण्डन मिश्र को सपत्नीक शास्त्रार्थ में परास्त किया । इन्होंने समस्त भारतवर्ष में भ्रमण करके बौद्ध धर्म को मिथ्या प्रमाणित किया तथा वैदिक धर्म को पुनरुज्जीवित किया । इन्होंने बौद्धों को कई बार शास्त्रार्थ में पराजित करके वैदिक धर्म की पुन: स्थापना की । शंकराचार्य जी 32 वर्ष की अल्प आयु में सन् 820 ई. में केदारनाथ के समीप स्वर्गवासी हो गए । आदि शंकराचार्य जी ने चार पीठ ( मठ ) स्थापित किये थे : 1. उत्तर दिशा में बदरिकाश्रम में ज्योतिर्पीठ, 2. पश्चिम में द्वारिका में शारदापीठ, 3. दक्षिण में रामेश्वर में शृंगेरीपीठ, 4. पूर्व में जगन्नाथपुरी में गोवर्द्धनपीठ । आदि शंकराचार्य जी अपने अंतिम दिनों में कांची कामकोटि पीठ में निवास कर रहे थे ।

12/05/2024

अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस ( International Nurses Day ) की हार्दिक शुभकामनायें ।
12 मई 2024, रविवार । आज अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस ( International Nurses Day ) है । प्रति वर्ष 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है । अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस को मनाने की शुरुआत साल 1974 से हुई थी । यह दिन आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल को समर्पित है । फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 12 मई के दिन हुआ था । फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने ही नोबेल नर्सिंग सेवा की शुरुआत की थी । उनकी याद में ही 12 मई को नर्स दिवस मनाया जाता है । फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 12 मई 1820 को हुआ था । उन्होंने जिंदगी भर बीमार और रोगियों की सेवा की । फ्लोरेंस का खुद का बचपन बीमारी और शारीरिक कमजोरी में बीता । उन दिनों स्वास्थ्य संबंधी कई सुविधाओं की कमी थी । बिजली उपकरण नहीं थे । हाथों में लालटेन लेकर अस्पताल में स्वास्थ्य गतिविधियां की जाती थीं । फ्लोरेंस को अपने मरीजों की हमेशा फिक्र रहती थी । उनकी देखभाल के लिए फ्लोरेंस रात में भी अस्पताल में घूम कर चेक करती थी कि किसी रोगी को कोई जरूरत तो नहीं है । गरीब, बीमार और दुखियों के लिए वह कार्य करती थीं । उनकी नर्सिंग सेवा ने समाज में नर्सों को सम्मानजनक स्थान दिलाया । 1960 में फ्लोरेंस के प्रयासों से आर्मी मेडिकल स्कूल की स्थापना हुई ।

10/05/2024

परशुराम जयंती की हार्दिक शुभकामनायें ।
10 मई 2024, शुक्रवार । आज परशुराम जयंती है । आज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया है । वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को परशुराम जी का जन्म हुआ था । परशुराम त्रेता युग के एक अयाचक ब्राह्मण थे । उन्हें विष्णु का छठा अवतार भी कहा जाता है । पौरोणिक वृत्तान्तों के अनुसार उनका जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि की पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था । वे भगवान विष्णु के छठे अवतार थे । पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम, जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम कहलाये । आरम्भिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचीक से सारंग नामक दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मर्षि कश्यप से विधिवत अविनाशी वैष्णव मन्त्र प्राप्त हुआ । तदनन्तर कैलाश गिरिश्रृंग पर स्थित भगवान शंकर के आश्रम में विद्या प्राप्त कर विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्राप्त किया । शिवजी से उन्हें श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु भी प्राप्त हुए । चक्रतीर्थ में किये कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने उन्हें कल्पान्त पर्यन्त तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया । वे शस्त्रविद्या के महान गुरु थे । उन्होंने भीष्म, द्रोण व कर्ण को शस्त्रविद्या प्रदान की थी । उन्होंने एकादश छन्दयुक्त "शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र" भी लिखा । इच्छित फल-प्रदाता परशुराम गायत्री है - "ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, तन्नोपरशुराम: प्रचोदयात् ।"

10/05/2024

अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनायें ।
10 मई 2024, शुक्रवार । आज अक्षय तृतीया है । अक्षय तृतीया को आखा तीज भी कहते है । आज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया है । वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही अक्षय तृतीया या आखा तीज कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं । नवीन वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने और नई संस्था, समाज आदि की स्थापना या उदघाटन का कार्य श्रेष्ठ माना जाता है। पुराणों में लिखा है कि इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिन्डदान अथवा किसी और प्रकार का दान, अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यहाँ तक कि इस दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है ।

09/05/2024

महाराणा प्रताप की जयंती है आज ।
9 मई 2024, गुरुवार । आज महाराणा प्रताप की जयंती है । महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया रविवार विक्रम संवत 1597 तदनुसार 9 मई 1540 को उदयपुर, मेवाड में सिसोदिया राजपूत राजवंश में हुआ था । महाराणा प्रताप का जन्म वर्तमान राजस्थान के कुम्भलगढ़ में महाराणा उदयसिंह एवं माता रानी जयवन्ताबाई के घर हुआ था । लेखक जेम्स टॉड के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म मेवाड़ के कुम्भलगढ में हुआ था । इतिहासकार विजय नाहर के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म पाली के राजमहलों में हुआ । महाराणा प्रताप का नाम इतिहास में वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ प्रण के लिये अमर है । उन्होंने मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक मुगलों से संघर्ष किया । महाराणा प्रताप सिंह ने मुगलों को कईं बार युद्ध में भी हराया और हिंदुस्थान के पूरे मुग़ल साम्राज्य को घुटनो पर ला दिया । महाराणा प्रताप सिंह के डर से अकबर अपनी राजधानी लाहौर लेकर चला गया और महाराणा के स्वर्ग सिधारने के बाद आगरा ले आया । 19 जनवरी 1597 में महाराणा प्रताप की उनकी नई राजधानी चावण्ड में मृत्यु हो गई ।

05/05/2024

विश्व हास्य दिवस (World Laughter Day) की हार्दिक शुभकामनायें ।
5 मई 2024, रविवार । आज विश्व हास्य दिवस (World Laughter Day) है । आज मई माह का प्रथम रविवार है । प्रति वर्ष मई माह के प्रथम रविवार को विश्व हास्य दिवस (World Laughter Day) मनाया जाता है । हँसना सभी मनुष्य के शारीरिक व मानसिक विकास में अत्यंत सहायक है । मनोवैज्ञानिक प्रयोगों से यह स्पष्ट हुआ है कि अधिक हँसने वाले बच्चे अधिक बुद्धिमान होते हैं । जापान के लोग अपने बच्चों को प्रारंभ से ही हँसते रहने की शिक्षा देते हैं । हास्य सकारात्मक और शक्तिशाली भावना है । जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान और संसार को शांतिपूर्ण बनाने के सभी तत्त्व उपस्थित रहते हैं । यह व्यक्ति के विद्युत चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करता है और व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है । जब व्यक्ति समूह में हंसता है, तो उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा पूरे क्षेत्र में फैल जाती है और क्षेत्र से नकारात्मक ऊर्जा हटती है । इस समय जब अधिकांश विश्व महामारी एवं युद्ध के डर से सहमा हुआ है, तब 'विश्व हास्य दिवस' की अत्यधिक आवश्यकता महसूस होती है । इससे पहले इस दुनिया में इतनी अशांति और भय कभी नहीं देखी गई । आज हर व्यक्ति के अंदर कोहराम मचा हुआ है । ऐसे में हंसी दुनिया भर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकती है । आईये हम सब लोग मिल कर हँसे और अपने अंदर से भय को दूर भगाएं ।

01/05/2024

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस (Labour Day) की हार्दिक शुभकामनायें ।
1 मई 2024, बुधवार । आज अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस है । “1 मई” को विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस या श्रमिक दिवस (Labour Day) मनाया जाता है । अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस ( मई दिवस ) मनाने की शुरूआत 1 मई 1889 से हुई । किसी भी देश की तरक्की उस देश के किसानों तथा कामगारों (मजदूर / कारीगर) पर निर्भर होती है । एक मकान को खड़ा करने और सहारा देने के लिये जिस तरह मजबूत “नीव” की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, ठीक वैसे ही किसी समाज, देश, उद्योग, संस्था, व्यवसाय को खड़ा करने के लिये कर्मचारियों और कामगारों (श्रमिकों) की विशेष भूमिका होती है । मजदूर (श्रमिक) हमारे समाज का वह तबका है, जिस पर समस्त आर्थिक उन्नति टिकी होती है । वह मानवीय श्रम का सबसे आदर्श उदाहरण है । वह सभी प्रकार के क्रियाकलापों की धुरी है । आज के मशीनी युग में भी उसकी महत्ता कम नहीं हुई है । उद्योग, व्यापार,कृषि, भवन निर्माण, पुल एवं सड़कों का निर्माण आदि समस्त क्रियाकलापों में मजदूरों (श्रमिकों ) के श्रम का योगदान महत्त्वपूर्ण होता है । मजदूर ( श्रमिक ) चाहे किसी भी क्षेत्र का हो, आर्थिक क्रियाकलापों में उसकी अग्रणी भूमिका होती है । वह सड़कों एवं पुलों के निर्माण में सहयोग करता है । वह भवन निर्माण के क्षेत्र में भरपूर योगदान देता है । वह ईटें बनाता है, वह खेती में किसानों की मदद करता है । शहरों और गाँवों में उसे कई प्रकार के कार्य करने होते हैं । तालाबों, कुओं, नहरों और झीलों की खुदाई में उसके श्रम का बहुत इस्तेमाल होता है । रिक्सा चालक, सफाई कर्मचारी, बढ़ई, लोहार, हस्तशिल्पी, दर्जी, पशुपालक आदि वास्तव में मजदूर ही होते हैं । सूती वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, हथकरघा उद्योग, लोहा एवं इस्पात उद्योग, सीमेंट उद्योग आदि जितने भी प्रकार के उद्योग हैं उनमें मजदूरों की भागीदारी अपरिहार्य होती है । मजदूर ( श्रमिक ) अपना श्रम बेचता है । बदले में वह न्यूनतम मजदूरी प्राप्त करता है । उसका जीवन-यापन दैनिक मजदूरी के आधार पर होता है । जब तक वह काम कर पाने में सक्षम होता है तब तक उसका गुजारा होता रहता है । आज का दिन मजदूरों (श्रमिकों ) को समर्पित है ।

23/04/2024

श्री हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें ।
23 अप्रैल 2024, मंगलवार । आज चैत्र मास की पूर्णिमा है । आज हनुमान जयंती है । चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है । हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को प्रातः, मां अंजना की कोख से, हुआ था । हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है । इस वर्ष चैत्र पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल 2024, दिन मंगलवार को प्रातः 3 बजकर 25 मिनट पर शुरु हो रही है । पूर्णिमा तिथि का समापन 24 अप्रैल 2024, बुधवार यानी कल सुबह 5 बजकर 18 मिनट पर हो रहा है । सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल 2024, मंगलवार को प्राप्त हो रहा है । ऐसे में हनुमान जयंती 23 अप्रैल 2024, मंगलवार को मनाई जाएगी । इस दिन ही व्रत रखा जाएगा और हनुमान जी का जन्म उत्सव मनाया जाएगा । अभिजीत मुहूर्त आज 23 अप्रैल 2024, मंगलवार को सुबह 11 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा । इस समय में हनुमान जी की पूजा करना श्रेष्ठ है । पवनपुत्र के नाम से प्रसिद्ध हनुमान जी की माता अंजनी और पिता वानर राज केसरी थे । हनुमान जी को बजरंगबली, केसरीनंदन और आंजनेय के नाम से भी पुकारा जाता है । संकटों का नाश करने वाले हनुमान जी को संकट मोचन भी कहते हैं । वे भगवान शिव के 11वें अवतार हैं, जो वानर के रूप में इस धरती पर राम भक्ति और राम कार्य सिद्ध करने के लिए अवतरित हुए । हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं । हनुमान जयंती पर हनुमानजी की मूर्तियों पर सिन्दूर और चांदी का वर्क चढ़ाया जाता है । हनुमान जयंती के दिन शाम के समय दक्षिणमुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर हनुमान जी के चमत्कारिक मंत्रों का जाप किया जाए तो यह बहुत फलदायी होता है । हनुमान जी का मूल मंत्र है : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ॥

22/04/2024

पृथ्वी दिवस (Earth Day) की हार्दिक शुभकामनायें ।
22 अप्रैल 2024, सोमवार । आज पृथ्वी दिवस (Earth Day) है । हर साल 22 अप्रैल को पूरी दुनिया में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है । पृथ्वी दिवस (Earth Day) पहली बार 1970 में मनाया गया था । पृथ्वी को संरक्षण प्रदान करने के लिए और सारी दुनिया से इसमें सहयोग और समर्थन करने के लिए पृथ्वी दिवस मनाया जाता है । पृथ्वी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक बनाना है । जीवन संपदा को बचाने के लिए पर्यावरण को ठीक रखने के बारे में जागरूक रहना आवश्यक है । जनसंख्या की बढ़ोतरी ने प्राकृतिक संसाधनों पर अनावश्यक बोझ डाल दिया है । इसलिए इसके संसाधनों के सही इस्तेमाल के लिए पृथ्वी दिवस जैसे कार्यक्रमों का महत्व बढ़ गया है । लाइव साइंस आईपीसीसी अर्थात जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल के मुताबिक 1880 के बाद से समुद्र स्तर 20% बढ़ गया है, और यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है । यह 2100 तक बढ़ कर 58 से 92 सेंटीमीटर तक हो सकता है । जो की पृथ्वी के लिए बहुत ही ख़तरनाक है । इसका मुख्य कारण है ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियरों का पिघलना । जिसके करण पृथ्वी जलमग्न हो सकती है । पृथ्वी दिवस का महत्व मानवता के संरक्षण के लिए बढ़ जाता है । यह हमें जीवाश्म इंधन के उत्कृष्ट उपयोग के लिए प्रेरित करता है । यह उर्जा के भण्डारण और उसके अक्षय के महत्व को बताते हुए उसके अनावश्यक उपयोग के लिए हमे सावधान करता है । कार्बन डाई ऑक्साइड और मीथेन उत्सर्जन की गतिविधियों को कम कर के हम पर्यावरण को अपने प्राकृतिक रूप में स्थिर रख सकते है । इस दिन को 195 देशों ने अपना समर्थन प्रदान किया है ।

17/04/2024

राम नवमी की हार्दिक शुभकामनायें ।
17 अप्रैल 2024, बुधवार । आज राम नवमी है । आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी है । रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है । हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था । श्री राम को मर्यादा का प्रतीक माना जाता है । उन्हें पुरुषोत्तम यानि श्रेष्ठ पुरुष की संज्ञा दी जाती है । अपने उत्तम आचार और विचार के कारण श्री राम युगों युगों से सर्व पूज्य है । हिन्दू शास्त्रों में श्री राम को भगवन श्री विष्णु का 7वां अवतार बताया गया है ।

16/04/2024

दुर्गा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ।
16 अप्रैल 2024, मंगलवार । आज दुर्गा अष्टमी का महापर्व है । आज चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन है । नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है । इन दिनों भक्त मां दुर्गा के 9 रूपों की आराधना कर मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं । नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है । चैत्र नवरात्रि में आठवां दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी जी को समर्पित है । इस दिन को दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है । इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां दुर्गा असुरों का संहार करने के लिए प्रकट हुई थीं ।

15/04/2024

गुरु अर्जुन देव जी के प्रकाश पर्व की बहुत बहुत बधाई ।
15 अप्रैल 2024, सोमवार । आज गुरु अर्जुन देव जी की जयंती है । गुरु अर्जुन देव का जन्म सिख धर्म के चौथे गुरु, गुरु रामदासजी व माता भानीजी के घर 15 अप्रैल 1563 ( वैशाख वदी 7, संवत 1620 ) को गोइंदवाल (अमृतसर) में हुआ था । श्री गुरु अर्जुन देव साहिब सिख धर्म के 5वें गुरु है । श्री गुरु अर्जुन देव साहिब गुरु रामदास और माता बीवी भानी के पुत्र थे । उनके पिता गुरु रामदास स्वयं सिखों के चौथे गुरु थे, जबकि उनके नाना गुरु अमरदास सिखों के तीसरे गुरु थे । गुरु अर्जुन देव जी का बचपन गुरु अमरदास की देखरेख में बीता था । उन्होंने ही अर्जुन देव जी को गुरमुखी की शिक्षा दी । साल 1579 में उनका विवाह माता गंगा जी के साथ हुआ था । दोनों का एक पुत्र हुआ, जिनका नाम हरगोविंद सिंह था, जो बाद में सिखों के छठवें गुरु बने । वर्ष 1581 में गुरु अर्जुन देव सिखों के पांचवे गुरु बने । उन्होंने ही अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे की नींव रखवाई थी, जिसे आज स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है। कहते हैं इस गुरुद्वारे का नक्शा स्वयं अर्जुन देव जी ने ही बनाया था । उन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब का संपादन भाई गुरदास के सहयोग से किया था । उन्होंने रागों के आधार पर गुरु वाणियों का वर्गीकरण भी किया । श्री गुरु ग्रंथ साहिब में स्वयं गुरु अर्जुन देव के हजारों शब्द हैं । उनके अलावा इस पवित्र ग्रंथ में भक्त कबीर, बाबा फरीद, संत नामदेव, संत रविदास जैसे अन्य संत-महात्माओं के भी शब्द हैं । वे शिरोमणि, सर्वधर्म समभाव के प्रखर पैरोकार होने के साथ-साथ मानवीय आदर्शों को कायम रखने के लिए आत्म बलिदान करने वाले एक महान आत्मा थे ।

14/04/2024

डॉ भीम राव आंबेडकर जयंती है आज ।
14 अप्रैल 2024, रविवार । आज डॉ भीम राव आंबेडकर की जयंती है । डॉ भीम राव आंबेडकर का पूरा नाम डॉ भीमराव राम जी आंबेडकर है । डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, डॉ भीम राव आंबेडकर, एक विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाज सुधारक थे । उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था । उन्होंने श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था । वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री थे । वे भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माता थे ।
आम्बेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 को ब्रिटिश भारत के मध्य भारत प्रांत (अब मध्य प्रदेश) में स्थित महू नगर सैन्य छावनी में हुआ था। वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14 वीं व अंतिम संतान थे। उनका परिवार कबीर पंथ को माननेवाला मराठी मूल का था । उनका परिवार वर्तमान महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में आंबडवे गाँव का निवासी था । वे हिंदू महार जाति से संबंध रखते थे, जो तब अछूत कही जाती थी । इस कारण उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव सहन करना पड़ता था । भीमराव आम्बेडकर के पिता रामजी सकपाल, भारतीय सेना की महू छावनी में सेवारत थे तथा यहां काम करते हुये वे सुबेदार के पद तक पहुँचे थे । आंबेडकर जी ने सातारा शहर में राजवाड़ा चौक पर स्थित गवर्न्मेण्ट हाईस्कूल (अब प्रतापसिंह हाईस्कूल) में 7 नवंबर 1900 को अंग्रेजी की पहली कक्षा में प्रवेश लिया । अप्रैल 1906 में, जब भीमराव लगभग 15 वर्ष आयु के थे, तो नौ साल की लड़की रमाबाई से उनकी शादी कराई गई थी । तब वे पांचवी अंग्रेजी कक्षा पढ रहे थे । उन दिनों भारत में बाल-विवाह का प्रचलन था । 1907 में, उन्होंने अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की । 1907 में, आम्बेडकर जी का परिवार मुंबई चला गया । मुंबई में उन्होंने एल्फिंस्टोन रोड पर स्थित गवर्न्मेंट हाईस्कूल में आगे की शिक्षा प्राप्त की । 1912 तक, आंबेडकर जी ने बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में कला स्नातक (बी. ए. ) प्राप्त की । इसके बाद वे बड़ौदा राज्य सरकार के साथ काम करने लगे । सन 1913 में आंबेडकर जी को सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय (बड़ौदा के गायकवाड़) द्वारा विदेश में अध्ययन के लिए, तीन वर्ष के लिए छात्र वृत्ति प्रदान की गयी । 22 साल की आयु में आंबेडकर जी सन 1913 में, संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए । जून 1915 में उन्होंने अपनी कला स्नातकोत्तर (एम. ए. ) परीक्षा पास की । जिसमें अर्थशास्त्र प्रमुख विषय, और समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और मानव विज्ञान यह अन्य विषय थे । उन्होंने स्नातकोत्तर के लिए एशियंट इंडियन्स कॉमर्स (प्राचीन भारतीय वाणिज्य) विषय पर शोध कार्य प्रस्तुत किया । 1916 में, उन्हें दूसरे शोध कार्य, नेशनल डिविडेंड ऑफ इंडिया - ए हिस्टोरिक एंड एनालिटिकल स्टडी के लिए दूसरी कला स्नातकोत्तर प्रदान की गई । 1916 में अपने तीसरे शोध कार्य इवोल्युशन ओफ प्रोविन्शिअल फिनान्स इन ब्रिटिश इंडिया के लिए अर्थशास्त्र में पीएचडी प्राप्त की । इसके बाद उन्होंने लंदन की राह ली । 3 वर्ष तक की अवधि के लिये मिली हुई छात्रवृत्ति का उपयोग उन्होंने केवल दो वर्षों में अमेरिका में पाठ्यक्रम पूरा करने में किया और 1916 में वे लंदन गए । अक्टूबर 1916 में, आंबेडकर जी लंदन चले गये । वहाँ उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया । साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी प्रवेश लिया । जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट (Doctorate) थीसिस पर काम करना शुरू किया । जून 1917 में, उन्हें अपना अध्ययन अस्थायी तौर पर बीच में ही छोड़ कर भारत लौटना पड़ा । क्योंकि बड़ौदा राज्य से उनकी छात्रवृत्ति समाप्त हो गई थी । उन्हें चार साल के भीतर अपने थीसिस पूरी करने के लिए लंदन लौटने की अनुमति मिली । सन 1920 में कोल्हापुर के शाहू महाराज, अपने पारसी मित्र , के सहयोग और कुछ निजी बचत के सहयोग से वो एक बार फिर से इंग्लैंड वापस जाने में सफ़ल हो पाए । उन्होंने 1921 में विज्ञान स्नातकोत्तर ( एम. एससी. ) की उपाधि प्राप्त की । सन 1922 में, उन्हें ग्रेज इन ने बैरिस्टर-एट-लॉज डिग्री प्रदान की । इस के बाद उन्हें ब्रिटिश बार में बैरिस्टर के रूप में प्रवेश मिल गया । 1923 में, उन्होंने अर्थशास्त्र में डी. एससी. (डॉक्टर ऑफ साईंस) उपाधि प्राप्त की । लंदन का अध्ययन पूर्ण कर भारत वापस लौटते हुये भीमराव आम्बेडकर तीन महीने जर्मनी में रुके । जर्मनी में उन्होंने अपना अर्थशास्त्र का अध्ययन, बॉन विश्वविद्यालय में जारी रखा । किंतु समय की कमी से वे विश्वविद्यालय में अधिक नहीं ठहर सकें । उनकी तीसरी डॉक्टरेट एलएल. डी. , कोलंबिया विश्वविद्यालय, 1952 और उनकी चौथी डॉक्टरेट डी. लिट. , उस्मानिया विश्वविद्यालय, 1953 थीं । आंबेडकर का राजनीतिक कैरियर 1926 में शुरू हुआ और 1956 तक वो राजनीतिक क्षेत्र में विभिन्न पदों पर रहे । दिसंबर 1926 में, बॉम्बे के गवर्नर ने उन्हें बॉम्बे विधान परिषद के सदस्य के रूप में नामित किया । 1936 तक वे बॉम्बे लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य रहे । 13 अक्टूबर 1935 को, आम्बेडकर को सरकारी लॉ कॉलेज का प्रधानचार्य नियुक्त किया गया । इस पद पर उन्होने दो वर्ष तक कार्य किया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज के संस्थापक श्री राय केदारनाथ की मृत्यु के बाद इस कॉलेज के गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया । इसके बाद आम्बेडकर बम्बई (अब मुम्बई) में बस गये । 1936 में, आम्बेडकर ने स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की । इस पार्टी ने 1937 में केन्द्रीय विधान सभा चुनावों मे 13 सीटें जीती । आंबेडकर जी को बॉम्बे विधान सभा के विधायक के रूप में चुना गया । वह 1942 तक विधानसभा के सदस्य रहे । इस दौरान उन्होंने बॉम्बे विधान सभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी कार्य किया । वर्ष 1942 से 1946 के दौरान, आंबेडकर जी भारत सरकार की रक्षा सलाहकार समिति और वाइसराय की कार्यकारी परिषद में श्रम मंत्री के रूप में सेवारत रहे । आंबेडकर जी महात्मा गाँधी के कटु आलोचक थे । गांधी व कांग्रेस की कटु आलोचना के बावजूद आंबेडकर जी की प्रतिष्ठा एक अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता की थी । 15 अगस्त 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार अस्तित्व में आई तो महात्मा गाँधी के कहने पर भारत सरकार के मंत्रिमंडल में आंबेडकर जी को देश के पहले क़ानून एवं न्याय मंत्री के रूप में शामिल किया गया । महात्मा गाँधी की सलाह पर 29 अगस्त 1947 को, आम्बेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया । आंबेडकर जी एक बुद्धिमान संविधान विशेषज्ञ थे, उन्होंने लगभग 60 देशों के संविधानों का अध्ययन किया था। आम्बेडकर को "भारत के संविधान का पिता" के रूप में मान्यता प्राप्त है । आंबेडकर जी ने बॉम्बे उत्तर में से 1952 का पहला भारतीय लोकसभा चुनाव लड़ा । लेकिन वे अपने पूर्व सहायक और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार नारायण काजोलकर से चुनाव हार गए। 1952 में आम्बेडकर राज्य सभा के सदस्य बन गए । उन्होंने भंडारा से 1954 के उपचुनाव में फिर से लोकसभा में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन वे तीसरे स्थान पर रहे । 1957 में दूसरे आम चुनाव के समय तक आम्बेडकर की निर्वाण (मृत्यु) हो गया था । आंबेडकर जी ने दो बार भारतीय संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व किया और भारत की संसद के सदस्य बने थे । राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका पहला कार्यकाल 3 अप्रैल 1952 से 2 अप्रैल 1956 तक था । उनका दूसरा कार्यकाल 3 अप्रैल 1956 से 2 अप्रैल 1962 तक था, लेकिन कार्यकाल समाप्त होने से पहले, 6 दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया । सन 1948 से, आंबेडकर जी मधुमेह से पीड़ित थे । जून से अक्टूबर 1954 तक वो बहुत बीमार रहे । इस दौरान वो कमजोर होती दृष्टि से ग्रस्त थे । राजनीतिक मुद्दों से परेशान आम्बेडकर का स्वास्थ्य बद से बदतर होता चला गया । 1955 के दौरान किये गये लगातार काम ने उन्हें तोड़ कर रख दिया । अपनी अंतिम पांडुलिपि भगवान बुद्ध और उनका धम्म को पूरा करने के तीन दिन के बाद 6 दिसम्बर 1956 को आम्बेडकर का निधन दिल्ली में उनके घर मे हो गया। तब उनकी आयु 64 वर्ष एवं 7 महिने की थी । दिल्ली से विशेष विमान द्वारा उनका पार्थिव मुंबई में उनके घर राजगृह में लाया गया । 7 दिसंबर को मुंबई में दादर चौपाटी समुद्र तट पर बौद्ध शैली में अंतिम संस्कार किया गया जिसमें उनके लाखों समर्थकों, कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों ने भाग लिया ।

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