
UPSC Mains Paper 3rd
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी-(विकास एवं राष्ट्रीय सुरक्षा में)
Serie: 1
संचार उपग्रह: दूरसंचार, टेलीविजन प्रसारण, और इंटरनेट सेवाओं के लिए। (उदाहरण: INSAT श्रृंखला)
संचार उपग्रह:
संचार उपग्रह कृत्रिम उपग्रह होते हैं जिनका उपयोग पृथ्वी पर दो या दो से अधिक स्थानों के बीच संकेतों को रिले करने के लिए किया जाता है। ये उपग्रह दूरसंचार, टेलीविजन प्रसारण, रेडियो प्रसारण, इंटरनेट सेवाओं और अन्य प्रकार के डेटा संचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कार्यप्रणाली:
एक संचार उपग्रह पृथ्वी से एक अपलिंक सिग्नल प्राप्त करता है, इसे बढ़ाता है, और फिर इसे डाउनलिंक सिग्नल के रूप में पृथ्वी पर वापस भेजता है। पृथ्वी पर स्थित स्टेशन इन संकेतों को प्राप्त करते हैं और उन्हें इच्छित गंतव्य तक पहुंचाते हैं।
मुख्य घटक:
ट्रांसपोंडर: यह उपग्रह का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह अपलिंक सिग्नल प्राप्त करता है, इसकी आवृत्ति को बदलता है, इसे बढ़ाता है, और फिर इसे डाउनलिंक सिग्नल के रूप में वापस भेजता है।
एंटीना: अपलिंक और डाउनलिंक सिग्नल भेजने और प्राप्त करने के लिए।
ऊर्जा स्रोत: सौर पैनल या बैटरी।
नियंत्रण प्रणाली: उपग्रह की स्थिति और संचालन को नियंत्रित करने के लिए।
कक्षाएँ:
संचार उपग्रहों को विभिन्न कक्षाओं में स्थापित किया जा सकता है, जिनमें से सबसे आम हैं:
भूस्थिर कक्षा (Geostationary Orbit - GEO): यह पृथ्वी की भूमध्य रेखा के ऊपर लगभग 35,786 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस कक्षा में उपग्रह पृथ्वी के घूर्णन के साथ-साथ घूमते हैं, इसलिए वे पृथ्वी पर एक ही स्थान पर स्थिर दिखाई देते हैं। इस कक्षा का उपयोग टेलीविजन प्रसारण, दूरसंचार और मौसम पूर्वानुमान के लिए किया जाता है।
भू-तुल्यकालिक कक्षा (Geosynchronous Orbit): यह भी पृथ्वी की भूमध्य रेखा के ऊपर स्थित है, लेकिन इसकी कक्षा गोलाकार नहीं होती है। इस कक्षा में उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर घूमते हैं, लेकिन उनकी स्थिति दिन के दौरान थोड़ी बदलती रहती है।
मध्यम पृथ्वी कक्षा (Medium Earth Orbit - MEO): यह भूस्थिर कक्षा से कम ऊँचाई पर स्थित है। इस कक्षा का उपयोग नेविगेशन उपग्रहों (जैसे GPS) और कुछ संचार उपग्रहों के लिए किया जाता है।
निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit - LEO): यह पृथ्वी की सतह के बहुत करीब स्थित है। इस कक्षा का उपयोग इमेजिंग उपग्रहों और कुछ संचार उपग्रहों के लिए किया जाता है।
अनुप्रयोग:
दूरसंचार: लंबी दूरी की टेलीफोन कॉल, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और अन्य संचार सेवाओं के लिए।
टेलीविजन प्रसारण: टेलीविजन चैनलों को दुनिया भर में प्रसारित करने के लिए।
रेडियो प्रसारण: रेडियो कार्यक्रमों को दूरदराज के क्षेत्रों में प्रसारित करने के लिए।
इंटरनेट सेवाएँ: ब्रॉडबैंड इंटरनेट को उन क्षेत्रों में प्रदान करने के लिए जहाँ स्थलीय बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं है।
आपदा प्रबंधन: आपातकालीन संचार और आपदा राहत प्रयासों के समन्वय के लिए।
मौसम पूर्वानुमान: मौसम की निगरानी और भविष्यवाणी के लिए।
भारत के संचार उपग्रह:
भारत INSAT (भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली) नामक संचार उपग्रहों की एक श्रृंखला का संचालन करता है। INSAT उपग्रहों का उपयोग टेलीविजन प्रसारण, दूरसंचार, मौसम पूर्वानुमान, और आपदा प्रबंधन के लिए किया जाता है।
लाभ:
• विस्तृत कवरेज क्षेत्र।
• दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुँच।
• विश्वसनीय संचार।
कमियाँ:
• उच्च लागत।
• प्रक्षेपण और रखरखाव की जटिलता।
• सिग्नल में देरी (GEO उपग्रहों के लिए)।