श्री धाम वृंदावन मे दिव्य शालिग्राम
के दर्शन
ॐ विष्णवे नमः 🙏🏻🙏🏻
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श्रीद्भागवतगीता में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कहा है कि
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे॥
इस श्लोक से इस बात की पुष्टि होती है कि भगवान मानव के उत्थान के अवतार लेते रहे हैं, ये अवतार अलग-अलग समय में मानव के हितों ने भगवान ने लिए। कभी विष्णु राम के रूप में सामने आए तो कभी कृष्ण तो कभी किसी अन्य रूप में सभी में उन्होंने जन कल्याण की भावना को ही समाज में प्रसारित किया है। भगवान के मान्यता प्राप्त दस अवतारों में मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, गौतम बुद्ध तथा कल्कि का समावेश है।
पहले तीन अवतार, अर्थात् मत्स्य, कूर्म और वराह प्रथम महायुग में अवतिरत हुए। नृसिंह, वामन, परशुराम और राम त्रेतायुग में अवतरित हुए। कृष्ण और बलराम का अवतरण द्वापर युग में हुआ और आज के कलियुग में भगवान विष्णु मानव के उत्थान के लिए कल्कि रूप में अवतरित हैं। कुछ धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान कृष्ण ही परमात्मा हैं और दशावतार कृष्ण के ही दस अवतार हैं; अतः उनकी सूची में कृष्ण नहीं बल्कि उनके स्थान पर बलराम होते हैं। कुछ लोग बलराम को एक अवतार मानते हैं, बुद्ध को नहीं। सामान्यतः बलराम को आदिशेष (विष्णु के विश्राम के आधार) का अवतार माना जाता है। दशावतार के बारे में अन्य विचारों में, कुछ लोग अवतारों के क्रम को युक्तिसंगत बनाने की कोशिश में, उन्हें विकासवादी डार्विन के सिद्धान्त से जोड़ते हैं। इस विचार के अनुसार अवतार जलचर से भूमिवास की ओर बढ़ते हुए क्रम में हैं, फिर आधे जानवर से विकसित मानव तक विकास का क्रम चलते गया है। इस प्रकार दशावतार क्रमिक विकास का प्रतीक या रूपक की तरह है। कल्कि को विष्णु का दशम अवतार माना गया है। ऐसा माना जाता है कि कल्कि श्वेत घोड़े पर सवार हो मन्वंतर के अंत का कारण बनेंगे। वैसे संहार का कार्य तो शिव जी के हिस्से में आता है।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 जय दादा परशुराम 🙏🥰