NDA/NA की लिखित परीक्षा में सफल छात्रों को ढेर सारी शुभकामनाएं। वहीं जो अभ्यर्थी कुछ अंकों से विफल रहे हैं उन्हें हतास होने की जरूरत नहीं है। अपने जोश को और बेहतर करें और एक बार फिर से प्रयास करें। आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से NDA की लिखित परीक्षा में पास होने वाले अभ्यर्थियों के लिए SSB इंटरव्यू को पास करने के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स हिंदी में लेकर आया हूं परंतु याद रखे सेना में ऑफिसर बनाने के लिए हिंदी में काम नही चलेगा. SSB में जाने से पहले इन बातों को जरूर ध्यान रखें-
अपने सारे डॉक्यूमेंट तैयार रखें -SSB इंटरव्यू में जाने से पहले अपने सारे डॉक्यूमेंट को एकत्रित कर लें। बिना डॉक्यूमेंट के आपकी सारी तैयारी व्यर्थ है। इसलिए सारे दस्तावेज़ जैसे, फोटोकॉपी, फोटोग्राफ, सर्टिफिकेट आदि को एक जगह रख लें।
SSB इंटरव्यू के सभी नियमों को अच्छे से समझ लें - बता दें कि यह कोई आम नौकरी का इंटरव्यू नहीं है। कई सारे छात्र इसकी अहमियत को समझे बगैर बिना किसी तैयारी के पहुंच जाते हैं। इसके लिए आप इंटरनेट की मदद ले सकते हैं। जिस पर SSB इंटरव्यू की सारे प्रक्रियाओं का विवरण दिया हुआ है। उसे अच्छे से पढ़ लें और समझ लें। ताकि वहां जाकर आपको परेशानी का सामना ना करना पड़े। जिसमें 5 दिन तक होने वाले टेस्ट जैसे TAT, WAT, SRT, SD और GTO इत्यादि के बारे में सब कुछ अच्छे से पता चल जाएगा।
इस इंटरव्यू में 2 स्टेज होते हैं। पहले स्टेज में स्क्रीनिंग टेस्ट होता है जो एक दिन का होता है। दूसरे स्टेज में साइकोलॉजिकल टेस्ट, GTO इंटरव्यू, पर्सनल इंटरव्यू जैसे कई टेस्ट होते हैं। दूसरा स्टेज पांचवे दिन तक चलता हैं। जिसमें अंतिम दिन फाइनल रिजल्ट घोषित किए जाते हैं। जिसमें चयनित छात्र मेडिकल टेस्ट के लिए जाते हैं।
स्क्रीनिंग टेस्ट- पहले दिन होने वाले स्क्रीनिंग टेस्ट को ज्यादातर उम्मीदवार नजरअंदाज करने की कोशिश करते हैं। बता दें कि यदि आप स्क्रीनिंग टेस्ट पास नहीं कर पाते तो आप आगे नहीं जा सकते। यह टेस्ट दो भाग में होता है। पहले OIR (ऑफिसर इंटेलिजेंस रेटिंग) टेस्ट होता है जो आपके IQ लेवल की जांच के लिए होता है। इस टेस्ट में 50 प्रश्न पूछे जाते हैं जो जनरल अवेयरनेस या गणित सेक्शन से जुड़े होंगे। इसके लिए आपको 30 मिनट का समय मिलेगा।
OIR में पास होने वाले अभ्यर्थी दूसरे भाग PPDT(पिक्चर परसेप्शन &डिस्क्रिप्शन टेस्ट) के लिए जाते हैं। इसमें उम्मीदवारों को 30 सेकंड तक एक तस्वीर दिखाई जाती है जिसको डिकोड करके एक स्टोरी बनानी होती है। मैं व्यक्तिगत रूप से आपको सलाह दूंगा कि आप इन टेस्ट पर प्रैक्टिस के लिए मार्केट में कई तरह की किताबें मिलती हैं, आप चाहें तो उनकी मदद ले सकते हैं। साथ ही में सलाह दूंगा कि किताबों में अंकित चीजों से हूबहू विचारधारा ना बनाएं। इस इंटरव्यू में आपके निजी जीवन से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं जिसको आपको अपने हिसाब से नैरेट करना होगा। किताबों में दी गई बातें सिर्फ दिशा निर्देश के लिए हैं।
यदि बात की जाए भाषा की जानकारी की तो, आपको अंग्रेजी आना अनिवार्य नहीं है। लेकिन भीड़ से अलग बनना है तो थोड़ी-बहुत अंग्रेजी सीख लीजिए। इसके लिए आप किसी स्पोकेन इंग्लिश कोर्स की सहायता ले सकते हैं। आपको अपने अंदर से सभी तरह के झिझक को निकाल देना होगा। ताकि पूरे आत्मविश्वास के साथ SSB इंटरव्यू फेस कर सकें।
वहीं, दूसरे स्टेज को चार दिनों में बांटा गया है। सबसे पहले इसमें साइकोलॉजिकल टेस्ट होता है। यह लगभग आपके PPDT टेस्ट की तरह होता है। जिसमें सबसे पहले आपको TAT (थीमेटिक अप्रिसिएशन टेस्ट) देना होगा। इसमें आपको 12 तस्वीरें दिखाई जाएंगी। जिसको देखकर आपको 12 कहानियां लिखनी होती हैं। यह टेस्ट आपके मानसिक संतुलन की जांच करता है तो याद रखें कि इस टेस्ट को देने से पहले एक बेहतर नींद जरूर पूरा कर लें ताकि परीक्षा के दौरान आपके दिमाग में अन्य बातें ना आएं।
सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और कठिन होता है तीसरे दिन GTO (ग्रुप टेस्टिंग ऑफिसर) टेस्ट की तैयारी करना। इसकी तैयारी आप किसी किताब से नहीं कर सकते हैं। आपको सुबह शाम कम से कम एक घंटा फिजिकल एक्सरसाइज करना चाहिए। जरूरत नहीं है कि दौड़ने में आप उसैन बोल्ट ही बन जाएं, लेकिन आपको क्षमता के अनुसार दौड़ने की तैयारी रखनी होगी। इसके अलावा आपको रोजाना इंग्लिश अख़बार पढ़ने की आदत बनानी होगी। साथ ही हाल फिलहाल की बड़ी घटनाओं की पूरी जानकारी आपको होनी चाहिए। करंट अफेयर्स की अच्छी तैयारी आपको GD (ग्रुप डिस्कशन), लेक्चरेट और पर्सनल इंटरव्यू में भी काफी मदद करेगी।
साथ ही यदि आप अपने बोलने की कुशलता को और बेहतर कर लेते हैं तो GTO टेस्ट आपके लिए बेहद आसान हो जाएगा।
पर्सनल इंटरव्यू के लिए आपको PIQ फॉर्म बड़े सफाई से भरना होगा। उन बातों को नहीं लिखना है जिसे आप साबित ना कर सकें। इसके लिए भी आपकी इंग्लिश की स्किल, करंट अफेयर्स की तैयारी काफी सहायता करेगी। ज्यादा से ज्यादा इंग्लिश में बात करने की कोशिश करें। IO (इंडिविजुअल ऑब्जरवेशन) के वक़्त आपको एकाग्रता से जुड़े रहना होगा। यहां आपका इंटरव्यू लेने वाला ऑफिसर सीनियर रैंकिंग का होता है, इसलिए आपको ज्यादा चालाक बनने की जरूरत नहीं है। उनसे झूठ बोलने की कोशिश नहीं करना। साथ ही आपको अपने फैमिली बैकग्राउंड, निवास क्षेत्र, राज्य और खेल आदि से जुड़ी बेहतर जानकारी होनी चाहिए। इसके अलावा, आर्मी/नेवी/एयरफोर्स के स्ट्रक्चर, रैंकिंग, कमांड्स समेत पूरी डिटेल अच्छे से पता होनी चाहिए। जो छात्र NCC के माध्यम से चयनित हैं उनसे आर्म्स से जुड़े प्रश्न जरूर पूछे जाते हैं। वहीं साइंस बैकग्राउंड वाले छात्र जो नेवी या एयरफोर्स में भर्ती होना चाहते हैं, उनसे आर्किमिडीज प्रिंसिपल, पास्कल्स लॉ, थ्रस्ट, एयर ड्रैग के प्रश्न जरूर पूछे जाते हैं। इसलिए इन टॉपिक को अच्छे से तैयार कर लें।
याद रखें कि आपका पहला अटेम्प्ट बेस्ट होना चाहिए। यह पांच दिन आपके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दिन है। इसमें आप अपना बेस्ट दें। सुरक्षा बलों की असली पहचान उनके अनुशासन से होती है। इसलिए आपको एक प्रॉपर रूटीन बनाना होगा और उसे लगन के साथ फॉलो भी करना होगा। SSB इंटरव्यू आपके जीवन का टेस्ट होता है, इसलिए इस दौरान आपको अपना बेहतर व्यक्तित्व रखना है, अपने करीब के सभी लोगों की मदद करें, वहां घरेलू कामों में भाग लें, बड़ों की इज्जत करें, साथियों की मदद करें, एक साधारण, ईमानदार इंसान बनें। जितना ज्यादा हो सके इस 5 दिन में सीखने की कोशिश करें और ज्यादा से ज्यादा दोस्त बनाएं। जय हिन्द ✍️
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कितने अजीब होते हैं आज कल के लोग गलत साबित होने पर भी माफी नही मांगते बल्कि सही को ही गलत बताने में पूरी ताकत लगा देते हैं
जीवन उसी का मस्त है जो अपने कार्य में मस्त है परेशान वही है जो दूसरे की खुशियों से त्रस्त है.
डिफेंस कैरियर अकादमी लखनऊ फिजिकल कोच के ट्रायल चल रहे है योग्यता फिजिकली फिट और अच्छा मोटीवेटर वेतन 15000 से ज्यादा रहना खाना फ्री
अभी तक सेना भर्ती की ऑनलाइन परीक्षा में डिफेंस कैरियर अकादमी लखनऊ के सभी बच्चों ने 42 से 50 प्रश्न सही किए हैं सभी को बधाई.
एसएससी कांस्टेबल जीडी की लिखित परीक्षा 2022 का रिजल्ट एसएससी की ऑफिशल वेबसाइट ssc.nic.in पर जारी कर दिया है
सैनिकों की ताकत का एक और राज, जो है दिमाग से जुड़ा
किसी देश की ताकत उसकी सेना होती है और सेना की ताकत उनके परिश्रम, डायट और जज्बे से अकेले नहीं होती। ये ताकत आती है अनुशासन से। आज इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि कैसे सैनिकों में अनुशासन उनकी मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने के साथ-साथ परिवार से दूर रहकर मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में देश की रक्षा के लिए तत्पर बनाता है।
सैनिकों में अनुशासन न सिर्फ उन्हें मजबूत बनाता है, बल्कि एक नियम-कायदे पसंद और उसमें ही रहने वाला नागरिक भी बनाता है। इसलिए, सैनिकों में अनुशासन होना काफी जरूरी है, जिसके लिए सैनिक बनना चाह रहे लोगों को कठोर परिश्रम व मेहनत करवाई जाती है। यह मेहनत, परिश्रम और अनुशासन इतना कठोर होता है कि, कई बैच में से कुछ लोग यह माहौल नहीं झेल पाते और ट्रेनिंग छोड़कर चले जाते हैं। जो बचते हैं और अपनी ट्रेनिंग पूरी करते हैं, उन्हें अनुशासन की जरूरत और महत्वता का पता चल जाता है।
इसमें अनुशासन का क्या अर्थ है?
अनुशासन को अंग्रेजी में डिसिप्लिन कहा जाता है। जिसका डिक्शनरी के मुताबिक अर्थ है कि, एक ऐसी ट्रेनिंग या प्रक्रिया जिसके अंदर किसी व्यक्ति को निश्चित व्यवहार या चरित्र के अनुरुप बनाया जाता हो। इस ट्रेनिंग से होने वाला बदलाव निश्चिततौर पर नैतिक और मानसिक सुधार पैदा करने वाला होना चाहिए। इस ट्रेनिंग में आत्म-संयम, आज्ञाकारिता, नियम व अधिकार के अंतर्गत रहना और नियमों व अधिकारों के अंतर्गत दिए गए निर्देशों का पालन करना सिखाया जाता है। अगर, कोई व्यक्ति अनुशासन से विरुद्ध जाकर कोई कार्य करता है, तो उसे इसका उल्लंघन करने और भविष्य में ऐसी गलती न करने का सबक देने के लिए सजा भी दी जाती है।
अनुशासन/डिसिप्लिन के प्रकार क्या-क्या हो सकते हैं?
सेल्फ डिसिप्लिन- सेल्फ डिसिप्लिन एक इच्छुक और सहज ज्ञान है, जो आपको यह जानने में मदद करता है कि किस स्थिति में क्या करना आपकी जिम्मेदारी है। यह सबसे जरूरी और मुश्किल प्रकार है, जिसमें आपको अपनी भावनाओं, फायदों और इच्छाओं से ऊपर नियम व कायदों के बारे में सोचना होता है। इसकी मदद से ही आप अपने एक्शन को नियंत्रित और रेगुलेट कर पाते हैं।
टास्क डिसिप्लिन
टास्क डिसिप्लिन एक मापदंड है, जिसमें यह देखा जाता है कि आप अपने टास्क या कार्य की चुनौतियों को कितने अच्छे तरीके से निपटते हुए कार्य या टास्क को अंजाम देते हैं। टास्क डिसिप्लिन के लिए अपने टास्क के प्रति अपने पूरी क्षमता के मुताबिक कार्य को अंजाम देने की जिम्मेदारी का मजबूत भाव होना जरूरी है।
ग्रुप डिसिप्लिन
ग्रुप डिसिप्लिन का मतलब किसी समूह में कार्य करने से है। कई जगह और कई कार्यों को करने के लिए एक समूह की आवश्यकता होती है। लेकिन, ग्रुप में कई लोगों के होने से उनके बीच नजरिए और मतों को लेकर वाद-विवाद हो सकता है, ऐसे में ग्रुप डिसिप्लिन ग्रुप को उद्देश्य और नियम कायदों के बीच बांधे रखता है।
इंपोज्ड डिसिप्लिन
इंपोज्ड डिसिप्लिन एक थोपा गया अनुशासन होता है, जिसमें कानूनी आदेशों और नियमों का पालन करना होता है। अनुशासन का यह प्रकार सेना में बड़ा महत्वपूर्ण होता है, जिसमें बहुत कम समय में या इमरजेंसी में आदेशों पर कोई सवाल उठाए बिना अपनी क्षमता के उच्च स्तर की मदद से कार्य को प्रभावी तरीके करना होता है। सभी मिलिट्री ट्रेनिंग में आदेशों को जल्द से जल्द और प्रभावी रूप से करने का अभ्यास करवाया जाता है। यह सैनिकों में अनुशासन का सबसे जरूरी अंग होता है।
सैनिकों में अनुशासन की जरूरत क्यों है?
सैनिकों में अनुशासन की बहुत जरूरत होती है। क्योंकि, सेना एक समूह, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों, धर्मों, इच्छाओं, मानसिकता और नजरिए वाले लोगों का समावेश है। ऐसे में किसी भी इमरजेंसी में व्यक्तित्व के निर्माण और उसको प्रभावित करने वाले कारकों से ऊपर अपने उद्देश्यों को रखना होता है। इसलिए, मिलिट्री डिसिप्लिन में सभी स्थितियों और परिस्थितियों में आदेशों और आज्ञाओं का पालन करने की ट्रेनिंग और मानसिक मनोदृष्टि का निर्माण होता है। इसमें, अपने देश और टुकड़ी के प्रति इज्जत, वफादारी और कर्मठता को सर्वोपरि रखा जाता है। इसके अलावा, सैनिकों में अनुशासन के अंतर्गत विषम परिस्थितियों में भी डटे रहना और शारीरिक स्वास्थ्य की देखरेख व उसके लिए जरूरी एहतियात बरतना भी शामिल होता है।
सैनिकों में अनुशासन के टूल
सैनिकों में अनुशासन निर्माण के लिए ट्रेनिंग की मदद ली जाती है। जिसमें कुछ महत्वपूर्ण टूल का प्रयोग भी किया जाता है। सैनिकों में अनुशासन निर्माण के लिए जरूरी टूल कुछ इस प्रकार हैं-
सैनिकों में अनुशासन के लिए आचार और शिष्टाचार
सैनिकों में अनुशासन के लिए उन्हें आचार और शिष्टाचार सिखाया जाता है। जिससे संस्था में एक विनम्र और शिष्टापूर्ण माहौल बना रहे। इस टूल में सैनिकों को सीखाया जाता है कि, अपने सीनियर ऑफिसर के प्रति कैसा व्यवहार और एक्शन करना चाहिए। जिसमें, सीनियर को देखकर सैल्यूट करना, उनके आदेश और निर्देशों का पालन करना और अपने कपड़ों की साफ-सफाई और उन्हें पहनने को लेकर एक उचित ढंग के बारे में बताया जाता है।
सैनिकों में अनुशासन के लिए ड्रिल
सैनिकों में अनुशासन का दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण टूल है ड्रिल। यह ड्रिल सैनिकों को हर कदम पर काम आती है। जिसमें, अनेक स्थितियों और परिस्थितियों के बीच प्रभावी कार्य करना और आदेशों व निर्देशों का पालन करना शामिल होता है। ड्रिल में शारीरिक ताकत और क्षमता को भी बढ़ाया जाता है, ताकि आप किसी भी विषम स्थिति में अपने शरीर के हाथों कमजोर न पड़ पाएं। क्योंकि, एक सैनिक की जिंदगी में कई बार ऐसी स्थिति आती है, जहां कोई आम नागरिक कार्य नहीं कर सकता। बल्कि, उस स्थिति में एक अनुशासित सैनिक ही सर्वाइव कर सकता है और अपने उद्देश्य को अंजाम दे सकता है।
उदाहरण के लिए, आप सियाचिन जैसे दूरगामी व हड्डियां गला देने वाली ठंड में हथियारों को लादे व छाती, सिर और कमर को सीधा रखे मुस्तैदी से सुरक्षा कर रहे भारतीय सैनिकों के बारे में सोच सकते हैं। यह अनुशासन ही है कि वह अपनी शारीरिक क्षमताओं और कमजोरी को भूलकर अपने उद्देश्य यानी देश की सुरक्षा करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं और प्रभावी रूप से कर भी रहे हैं। इसके अलावा, ड्रिल में एक सैनिक को मानसिक रूप से ऐसा तैयार किया जाता है कि, वह किसी भी स्थिति के लिए दिमागी रूप से मजबूत और तैयार रहता है। इसलिए, ड्रिल अनुशासन का आधार है। क्योंकि, ड्रिल में एक समूह के सभी लोगों को एक तरह का व्यवहार और मानसिकता के लिए तैयार किया जाता है, ताकि वह किसी भी उद्देश्य को जल्दी और बेहतर रूप से पूरा कर सकें। ड्रिल की मदद से सैनिकों के भीतर एक ऐसे किरदार की रचना की जाती है, जो न सिर्फ उन्हें परेड ग्राउंड या युद्ध के लिए तैयार करता है, बल्कि जिंदगीभर उनके साथ चलता है और उन्हें दूसरे आम नागरिकों से मानसिक और शारीरिक रूप से अलग बनाता है।
सैनिकों में अनुशासन की तरह खुद में कैसे लाएं डिसिप्लिन?
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि, सैनिकों में अनुशासन आत्म-संयम और एक नैतिक व आज्ञाकारी किरदार का निर्माण करता है। लेकिन, सिर्फ सैनिकों में अनुशासन की जरूरत नहीं होती, बल्कि एक आम नागरिक को भी जिंदगी में अनुशासित रहना चाहिए। जिससे न सिर्फ आप की रोजमर्रा की दैनिक गतिविधि सुचारु रूप से चलती रहेगी, बल्कि आपको जीवन में सफलता प्राप्त करने में भी परेशानी नहीं होगी। आइए, हम जानते हैं कि सैनिकों में अनुशासन की तरह हम खुद में डिसिप्लिन कैसे ला सकते हैं या इसमें मदद करने वाले कौन-से टिप्स हैं?
सैनिकों में अनुशासन जैसा आत्म संयम
आपका संयम ही आपके अंदर अनुशासन को दर्शाता है। संयम से मतलब है कि आप खुद की भावनाओं और एक्शन को उस समय कैसे संयमित करते हैं, जब स्थितियां आपके विरुद्ध चल रही होती हैं। आत्म संयम बनने के लिए आपको सब्र और सहनशीलता अपनानी होती है। जिसके लिए आपको सबसे पहले सभी प्रलोभन और ध्यान भंग करने वाले चीजों से दूरी बनाना सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
सैनिकों में अनुशासन जैसी समय की पाबंदी
हमारी जिंदगी में समय सबसे महत्वपूर्ण होता है। एक बार बीता या व्यर्थ हुआ समय दोबारा वापस नहीं आता। इसीलिए, आपको समय का पाबंद होना चाहिए। अगर, आपको कहीं सुबह 10 बजे पहुंचना है, तो कोशिश करिए कि आप वहां 15 मिनट पहले ही पहुंच पाएं। क्योंकि, देरी होने की वजह से कोई भी सफलता प्राप्त करने का मौका आपके हाथ से निकल न पाए। इसके अलावा, समय का पांबद होने से सामने वाले व्यक्ति पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सैनिकों में अनुशासन जैसा व्यवस्थित रहें
व्यवस्थात्मक होना अनुशासित होने का ही तरीका है। जब आप खुद में व्यवस्थात्मक होते हैं या अपने आसपास के माहौल में व्यवस्था रखते हैं, तो आपका समय बचता है और सकारात्मकता का प्रवाह होता है। उदाहरण के लिए, अगर आप घर से बाहर निकल रहे हैं, तो अपने बिस्तर को ठीक करके निकलें, घर की साफ-सफाई करके निकलें। इससे जीवन में जिम्मेदारियों और व्यवस्थात्मक होने का गुण आता है।
सैनिकों में अनुशासन जैसा भूलना और माफ करना
अनुशासन आपको खुश रहने में मदद करता है। इसलिए, अगर आपके जीवन में कभी कोई ऐसा मौका आया है कि, जब किसी व्यक्ति ने आपके प्रति कोई अनैतिक या बुरा व्यवहार या कृत्य किया हो, तो उसे माफ करके भूल जाएं। क्योंकि, गुस्सा और घृणा रखकर आपके व्यक्तित्व में नकारात्मकता फैलती है, जो कि आपकी प्रभावशीलता को कम करती है।
सैनिकों में अनुशासन जैसा आज्ञा लेना
यदि आप किसी भी सीनियर व्यक्ति के साथ हैं या किसी ग्रुप में बैठे हैं, तो कुछ बोलने या करने से पहले आज्ञा जरूर ले लें। क्योंकि, हो सकता है कि आपका बिना आज्ञा वहां बोलना उचित न हो और सामने वाले व्यक्ति पर बुरा असर डाले।
सैनिकों में अनुशासन जैसा समय पर खाएं
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग का निवास होता है और हमारा स्वास्थ्य हमारे खानपान पर निर्भर करता है। समय पर खा लेना भी अनुशासन में आता है, जो कि आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म को सुधारने में मदद करता है। समय पर खाने से मतलब सिर्फ रोजाना एक समय पर ही खाना नहीं होता, बल्कि इसके साथ आपको सोने से पहले कुछ समय पहले भी खा लेना चाहिए, जिससे आपका शरीर खाना आराम से पचा लें और आपको जरूरी पोषण दे दे।
सैनिकों में अनुशासन जैसा जो शुरू किया, उसे खत्म करें
अनुशासित व्यक्ति जिस काम को शुरू करते हैं, उसे खत्म भी जरूर करते हैं। यह उस कार्य या उन्हें दिए गए टास्क के प्रति गंभीरता को दर्शाता है। क्योंकि, अपनी गंभीरता और समर्पण के बारे में किसी को बताने से ज्यादा आपके एक्शन बताते हैं। इसके अलावा, अपने वादों पर खरा उतरना भी एक अनुशासित व्यक्ति की पहचान है, जिससे समाज में आपका भरोसा बढ़ सके।
सैनिकों में अनुशासन जैसा केंद्रित रहें
सैनिकों में अनुशासन की तरह खुद में अनुशासन का निर्माण करने के लिए अपने उद्देश्यों के प्रति केंद्रित रहें। ध्यान रखें कि, सफलता सिर्फ उसी को प्राप्त होती है, जो अपने उद्देश्यों के प्रति मग्न और केंद्रित रहता है। क्योंकि, हम सभी को यह जीवन किसी न किसी उद्देश्य के लिए मिला है और बिना किसी उद्देश्य के जीना व्यर्थ है।
दीपावली की सभी देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई
एक नवंबर लेफ्टिनेंट जनरल नव के. खंडूरी ने भारतीय थल सेना की पश्चिमी कमान के ‘जनरल ऑफिसर कमांडिंग’ (जीओसी) का सोमवार को प्रभार संभाल लिया।पश्चिमी कमान का मुख्यालय हरियाणा के चंडीमंदिर में है। अंबाला स्थित खड़ग कोर, योल स्थित राइजिंग स्टार कोर और जालंधर स्थित वज्र कोर पश्चिमी कमान के तहत आते हैं।लेफ्टिनेंट जनरल नव के. खंडूरी ने एक नवंबर 2021 को पश्चिमी कमान का नेतृत्व संभाल लिया। जनरल खंडूरी ऑपरेशनल लॉजिस्टिक्स और स्ट्रटेक्स मैनेजमेंट के भी महानिदेशक रहे हैं। स्थायी तौर पर योल स्थित नरवाना बाजार के रहने वाले हैं। इनकी प्रारंभिक शिक्षा एएफसीबी कैंट बोर्ड हाई स्कूल में वर्ष 1974-75 के दौरान हुई।
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