Rahul Mishra faizabad

Rahul Mishra  faizabad

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Operating as usual

15/08/2023

_*स्वाधीनता की इस शुभ बेला पर सघन कलुष-कालिमामयी दासता की लौह शृंखला तोड़कर, स्वतंत्रता के नवोज्ज्वल प्रभात के दर्शन करने वाले क्रांतिकारी अमर वीर सपूतों को नमन करते हुए भारत के सीमाओं की रक्षा करते सभी जवानों को हम कृतज्ञता से सलाम करते हैं।*_
_आज़ादी का अर्थ आराम नहीं बल्कि आज़ाद देश को विकास की सीढ़ियों से सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाना है। *अपनी आज़ादी का जश्न मनाते समय, हमें मौजूदा चुनौतियों - असमानता, गरीबी और अशिक्षा - को भी ध्यान में रखना होगा। हम भारत देश के जिम्मेदार नागरिक के रूप में, लोकतंत्र, समानता, न्याय और विविधता में एकता के आदर्शों को कायम रखते हुए अपने राष्ट्र को आगे ले जाने की प्रतिज्ञा करते हैं।*_
_आइए हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र में जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपनी भूमिका निभाने का प्रण लें। राष्ट्रीय गौरव के इस अवसर को संजोएं और एक उज्जवल और समृद्ध भारत की दिशा में दृढ़ संकल्प और एकता के साथ आगे बढ़ें। साथ मिलकर, हम भारत को वैश्विक मंच पर आगे बढ़ा सकते हैं और दुनिया के लिए अपने देश को प्रेरणा का प्रतीक बना सकते हैं।_
_*जय हिन्द! जय भारत!🇮🇳*_
_* INDEPENDENCE DAY🇮🇳*_

04/08/2023

साभार उद्धृत -

कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली

यह कहावत क्यों बनी ?

बचपन से लेकर आज तक हजारों बार इस कहावत को सुना था कि "कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली"। आमतौर पर यह ही पढ़ाया और बताया जाता था कि इस कहावत का अर्थ अमीर और गरीब के बीच तुलना करने के लिए है।

पर भोपाल जाकर पता चला कि कहावत का दूर-दूर तक अमीरी- गरीबी से कोई संबंध नहीं है। और ना ही कोई गंगू तेली से संबंध है। आज तक तो सोचते थे कि किसी गंगू नाम के तेली की तुलना राजा भोज से की जा रही है। यह तो सिरे ही गलत है, बल्कि गंगू तेली नामक शख्स तो खुद राजा थे।

जब इस बात का पता चला तो आश्चर्य की सीमा न रही साथ ही यह भी समझ आया यदि घुमक्कड़ी ध्यान से करो तो आपके ज्ञान में सिर्फ वृद्धि ही नहीं होती बल्कि आपको ऐसी बातें पता चलती है जिस तरफ किसी ने ध्यान ही नहीं दिया होता और यह सोचकर हंसी भी आती है यह कहावत हम सब उनके लिए सबक है जो आज तक इसका इस्तेमाल अमीरी गरीबी की तुलना के लिए करते आए हैं।

इस कहावत का संबंध मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और उसके जिला धार से है। भोपाल का पुराना नाम भोजपाल हुआ करता था। भोजपाल,‌ नाम धार के राजा भोजपाल से मिला।

समय के साथ इस नाम में से "ज" शब्द गायब हो गया और नाम भोपाल बन गया।

अब बात करते हैं कहावत की! कहते हैं, कलचुरी के राजा गांगेय (अर्थात गंगू) और चालुक्य राजा तेलंग (अर्थात तेली) ने एक बार राजा भोज के राज्य पर हमला कर दिया। इस युद्ध में राजा भोज ने इन दोनों राजाओं को हरा दिया।

उसी के बाद व्यंग्य के तौर पर यह कहावत प्रसिद्ध हुई "कहां राजा भोज-कहां गंगू तेली"।

चित्र - राजा भोज की विशाल प्रतिमा भोपाल के वीआईपी रोड के पास झील में लगी हुई है।

#इतिहासनामा

29/06/2023
18/09/2022

*सभी को स्वास्थ्य दिवस की शुभकामनाएं:*
याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें:
1. बीपी: 120/80
2. पल्स: 70 - 100
3. तापमान: 36.8 - 37
4. सांस : 12-16
5. हीमोग्लोबिन: पुरुष -13.50-18
स्त्री- 11.50 - 16
6. कोलेस्ट्रॉल: 130 - 200
7. पोटेशियम: 3.50 - 5
8. सोडियम: 135 - 145
9. ट्राइग्लिसराइड्स: 220
10. शरीर में खून की मात्रा: पीसीवी 30-40%
11. शुगर लेवल: बच्चों के लिए (70-130) वयस्क: 70 - 115
12. आयरन: 8-15 मिलीग्राम
13. श्वेत रक्त कोशिकाएं WBC: 4000 - 11000
14. प्लेटलेट्स: 1,50,000 - 4,00,000

15. लाल रक्त कोशिकाएं RBC: 4.50 - 6 मिलियन.
16. कैल्शियम: 8.6 -10.3 मिलीग्राम/डीएल
17. विटामिन D3: 20 - 50 एनजी/एमएल.
18. विटामिन B12: 200 - 900 पीजी/एमएल.
*वरिष्ठ यानि 40/ 50/ 60 वर्ष वालों के लिए विशेष टिप्स:*
*1- पहला सुझाव:* प्यास न लगे या जरूरत न हो तो भी हमेशा पानी पिएं, सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं और उनमें से ज्यादातर शरीर में पानी की कमी से होती हैं। 2 लीटर न्यूनतम प्रति दिन.
*2- दूसरा सुझाव:* शरीर से अधिक से अधिक काम ले, शरीर को हिलना चाहिए, भले ही केवल पैदल चलकर, या तैराकी या किसी भी प्रकार के खेल से।
*3-तीसरा सुझाव:* खाना कम करो...अधिक भोजन की लालसा को छोड़ दें... क्योंकि यह कभी अच्छा नहीं लाता है। अपने आप को वंचित न करें, लेकिन मात्रा कम करें। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आधारित खाद्य पदार्थों का अधिक प्रयोग करें।
*4- चौथा सुझाव:* जितना हो सके वाहनका प्रयोग तब तक न करें जब तक कि अत्यंत आवश्यक न हो. आप कहीं जाते हैं किराना लेने, किसी से मिलने या किसी काम के लिए अपने पैरों पर चलने की कोशिश करें। लिफ्ट, एस्केलेटर का उपयोग करने के बजाय सीढ़ियां चढ़ें।
*5- पांचवां सुझाव* क्रोध छोड़ो, चिंता छोड़ो,चीजों को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करो. विक्षोभ की स्थितियों में स्वयं को शामिल न करें, वे सभी स्वास्थ्य को कम करते हैं और आत्मा के वैभव को छीन लेते हैं। सकारात्मक लोगों से बात करें और उनकी बात सुनें।
*6- छठा सुझाव* सबसे पहले पैसे का मोह छोड़ दे
अपने आस-पास के लोगो से खूब मिलें जुलें हंसें बोलें!पैसा जीने के लिए बनाया गया था, जीवन पैसे के लिए नहीं।
*7-सातवां सुझाव* अपने आप के लिए किसी तरह का अफ़सोस महसूस न करें, न ही किसी ऐसी चीज़ पर जिसे आप हासिल नहीं कर सके, और न ही ऐसी किसी चीज़ पर जिसे आप अपना नहीं सकते।
इसे अनदेखा करें और इसे भूल जाएं।
*8- आठवां सुझाव* पैसा, पद, प्रतिष्ठा, शक्ति, सुन्दरता, जाति की ठसक और प्रभाव;
ये सभी चीजें हैं जो अहंकार से भर देती हैं. विनम्रता वह है जो लोगों को प्यारसे आपके करीब लाती है।
*9- नौवां सुझाव* अगर आपके बाल सफेद हो गए हैं, तो इसका मतलब जीवन का अंत नहीं है। यह एक बेहतर जीवन की शुरुआत हो चुकी है। आशावादी बनो, याद के साथ जियो, यात्रा करो, आनंद लो। यादें बनाओ!
*10- दसवां सुझाव* अपने से छोटों से भी प्रेम, सहानुभूति ओर अपनेपन से मिलें! कोई व्यंग्यात्मक बात न कहें! चेहरे पर मुस्कुराहट बनाकर रखें !
अतीत में आप चाहे कितने ही बड़े पद पर रहे हों वर्तमान में उसे भूल जाये और सबसे मिलजुलकर रहें!

* # स्वास्थ्य दिवस की शुभकामनाएं ❤️*

04/06/2022

यह #घटना उस समय की है जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने विदेश जाकर देश को आजाद कराने के लिए आजाद हिंद फौज के गठन का कार्य प्रारंभ किया।
उसी दौरान उन्होंने रेडियो प्रसारण पर एक आह्वान किया था कि "हम अपनी स्वतंत्रता का मूल्य अपने रक्त से चुकाएंगे"
उस समय वे बर्मा मे थे।

आजाद हिंद फौज के गठन व युवाओं को भरती करने के लिए उन्होंने अपना एक कमांडर भारत में नियुक्त किया.. कैप्टन ढिल्लों।
कैप्टन को विशेष निर्देश दिए कि ऐसे युवक को फौज में भर्ती न किया जाए जो अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र हो। उपयुक्त नियम का सख्ती से पालन करना है...

उस दिन कैप्टन ढिल्लों भर्ती होने के लिए सैकड़ों युवक जो पंक्ति मे खड़े थे उनका शारीरिक नापजोख करते थे और उनसे अंत में एक प्रश्न पूछते थे कि क्या आप अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र हो?
उपयुक्त उत्तर मिलने पर भर्ती कर लिया जाता था उस दिन उन्होंने अन्य युवकों की भांति एक युवक की छाती को मापकर तोल लेने वाली मशीन पर उसका वजन लिया, सब कुछ ठीक-ठाक पाया, वह युवक फौज में ले लिए जाने की आशा से मुस्कुरा रहा था अंत में कैप्टन ढिल्लो ने उससे पूछा..

तुम्हारे ओर कितने भाई हैं?

उस नौजवान ने कहा " मैं तो अकेला हूं, मेरे पिता भी इस समय जीवित नहीं है घर में सिर्फ मेरी मां है"

"क्या करते हो तुम" कैप्टन ढिल्लों ने पूछा..
"मैं गाय भैंस पालता हूं खेती भी करता हूं"
"हिंदुस्तान में कहां के रहने वाले हो" ?
"पंजाब(आज का हरियाणा) से हूँ"

तुम्हारा नाम?
"अर्जुन सिंह"
कैप्टन ढिल्लो ने कुछ उदास होकर कहा..
अर्जुन सिंह मुझे अफसोस है कि तुम्हें फौज में नहीं लिया जा सकता मुझे तुम्हारी देशभक्ति पर कोई संदेह नहीं है लेकिन तुम अपनी मां के अकेले बेटे हो, जाओ अपना खेत और अपने पशुओं को संभालो मां की सेवा करो अर्जुन की खुशी उदासी में बदल गई...
वह घर लौटा तो मां ने पूछा क्यों अर्जुन तुम तो आजाद हिंद सेना में गए थे भर्ती होने इतनी जल्दी आ गए क्या?
अर्जुन सिंह ने अपनी बूढ़ी मां को सब कुछ बता दिया..
सुनकर मां शांत होकर बोली घबराओ मत बेटे एक-दो दिन बाद फौज में तुम जरूर जाना तुम ले लिए जाओगे तुम देश के सच्चे सपूत बनकर दिखाओ, दिल को छोटा मत करो।

तीसरे दिन पुनः अर्जुन सिंह फौज में भर्ती होने वाले युवकों की पंक्ति में खड़ा था... सामने से आते ही कैप्टन ढिल्लों ने उसे पहचान लिया और बोला कि तुम फिर आ गए तुम्हें याद नहीं है... मैंने तुम्हें क्या कहा था,,
अर्जुन सिंह ने भरे हुए गले से कहा..
"कैप्टन साहब मुझे आपकी बात खूब याद है किंतु मेरी बूढ़ी मां ने कुएं में कूदकर अपनी जान ही दे दी, कुएं में कूदने के पहली रात को उसने मुझसे कहा था कि यह मेरे लिए बड़ी लज्जा की बात है कि मेरे कारण से तुम आजाद हिंद सेना में नहीं लिए जा सके नेताजी का सहयोगी बनकर देश के काम नहीं आ सके"...
इतना सुनते ही कैप्टन ढिल्लो की आंखों में आंसू भर गए उन्होंने उसी समय अर्जुन को भर्ती कर लिया और 2 दिन बाद जब सुभाष बाबू निरीक्षण के लिए आए तो कैप्टन ने अर्जुन को नेताजी से मिलवाया।
अर्जुन सिंह को देखकर नेता जी ने कहा की अपने राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए हमें यह जीवन अंतिम सांस तक दुश्मन से लड़ते हुए मोर्चे पर बिताना है इसमें यदि हमारी मृत्यु भी होती है तो भी पीछे नहीं हटना है...
अर्जुन सिंह ने नेताजी को वचन दिया और अपना वादा निभाया मोर्चे पर वह तब तक लड़ता रहा जब तक कि उसकी राइफल में एक भी गोली बाकी थी..
अर्जुन सिंह के शहीद होने का समाचार नेताजी सुभाष को जब मिला तो वे स्वयं गये जहां अर्जुन सिंह की मे स्मृति में एक छोटा सा स्मारक उन्होंने बनवाया और उस पर उन्होंने लिखा था "मृत्यु से खेलने वाले इन मां और पुत्र दोनों को मेरा प्रणाम"....

ऐसे ऐसे महान रत्नों को खोकर मिली आजादी का श्रेय कुछ स्वार्थी लोगो ने गांधी की झूठी अहिंसा को दे दिया...
जिन नेताजी ने गांधी का सम्मान करते हुए उन्हें "राष्ट्रपिता" कह दिया था उस गांधी ने ही हस्ताक्षर कर नेहरू व जिन्ना दोनों की मनोकामना पूरी कर भारत को टुकड़े टुकड़े कर दिया।
फोटो प्रतिकात्मक

13/05/2022

1962 में जिस तरह चीन ने भारत की पीठ में छुरा घोंपा,
उसका हम आज तक जवाब नहीं दे पाए हैं...
आप कभी उत्तराखंड के रानीखेत जाइए..
वहां कुमाऊं रेजिमेंट का म्यूजियम देखिए...
आपके रौंगटे खड़े हो जाएंगे...
मेजर शैतान सिंह किस तरह अपने 114 जवानों के साथ रिजांग ला पर 2 हजार से ज्यादा चीनी सैनिकों से लड़े...,
किस तरह नंवबर-दिसंबर की हाड़ गला देने वाली ठंड में भारतीय सैनिकों ने कामचलाऊ जूते और खस्ताहाल जैकेट पहनकर चीनी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए,
उसको सोचकर भी दिल दहल जाता है...
ये वही मेजर शैतान सिंह थे...,
जिन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू के रिश्तेदार और सेना की उत्तर पूर्वी ब्रिगेड के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बी एम कौल का लड़ाई से पीछे हटने का आदेश ठुकरा दिया था, अंतिम दम तक लड़े और जब गोलियों से छलनी हो गए तब उनके दो साथी जवानों ने कहा सर आपको मेडकल यूनिट तक भेज देते हैं.
मेजर शैतान सिंह ने कहा- मुझे और मेरी मशीनगन को यहीं छोड़ दो...,
हाथ कट चुके थे, पेट औऱ जांघ में गोली लगी थी, मेजर ने पैर से मशीनगन का ट्रिगर दबाया और दुश्मन का अंतिम साँस तक सामना किया, लड़ते-लड़ते प्राण न्योछावर कर दिए लेकिन उस पोस्ट पर दिन भर चीनी सेना को इंच भर आगे नहीं बढ़ने दिया...
इस अदम्य साहस और वीरता के लिए मेजर शैतान सिंह को परमवीर चक्र मिला.
ये वही मेजर शैतान सिंह थे...,
जिनको लेकर कवि प्रदीप ने अमर गीत लिखा और लता मंगेशकर ने गाया...
"थी खून से लथपथ काया फिर भी बंदूक उठा ली... दस-दस को एक ने मारा, फिर अपनी जान गंवा दी’
ऐसे वीरो की वजह से हम लोग अपने घरो में सुरक्षित बेठे है
मेजर शैतान सिंह को शत शत नमन 🙏🙏🙏

जय हिन्द 🇮🇳

10/04/2022

जिनकी दृष्टि पड़ गई,तो सुख का ना विराम है..जिनका जीवन काल स्वयं धाम के समान है..जिनके नाम मात्र से पाषाण स्वतः तिर गए..सृष्टि के आधार,पालनहार श्री राम हैं.......भारतीय संस्कृति में मर्यादा का मानदण्ड स्थापित करने वाले दयानिधि ,कृपा सिंधु ,भक्तवत्सल श्री रामलला के प्राकट्य दिवस रामनवमी के पावन महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई.......
श्री रामलला विराजमान की दिव्य छवि सकल जगत के लिये कल्याणकारी हो||
🚩🚩 " जय श्री राम "🚩🚩राहुल मिश्रा 🙏🙏।।

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